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अफगानिस्तान में एक बार फिर हालात अशांत हो सकते हैं। खबर है कि ISIL-K भारत, ईरान और चीन के दूतावास पर आतंकवादी हमले की करने की धमकी दी है। हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवादी संगठन तालिबान और UN के सदस्य देशों के बीच रिश्ते कमजोर करना चाहता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ISIL-K यानी इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवेंट- खुरासान ने खुद को तालिबान का सबसे बड़े प्रतिद्वंदी के तौर पर स्थापित कर लिया है। कहा जा रहा है कि वह यह दिखाना चाहता है कि तालिबान देश को सुरक्षा नहीं दे सकता। इसमें कहा गया, ‘डिप्लोमैटिक मिशन्स को निशाना बनाकर इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट-खुरासान तालिबान और क्षेत्र के सदस्य देशों के बीच रिश्ते कमजोर करना चाहता है।’
आगे कहा गया, ‘समूह ने चीन, भारत और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के दूतावासों के खिलाफ भी आतंकवादी हमले करने की धमकी दी है।’ खास बात है कि बीते साल जून में भारत ने काबुल में फिर दूतावास के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। भारत ने वहां अपनी टेक्निकल टीम तैनात की थी।
भाषा के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ISIL-L मध्य एवं दक्षिण एशिया में बड़ा आतंकवादी खतरा है और अपने बाहरी अभियानों को अंजाम देने की समूह की मंशा बरकरार है।’ सुरक्षा परिषद गुरुवार को ‘आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे’ पर एक बैठक आयोजित करेगी। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-विरोधी कार्यालय के अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोनकोव पिछले सप्ताह जारी यह रिपोर्ट पेश करेंगे।
रूसी दूतावास पर हो चुका है हमला
रिपोर्ट में बीते साल सितंबर में रूसी दूतावास पर हुए हमले का भी जिक्र है। कहागया है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद पहली बार किसी राजनयिक उपस्थिति पर हमला था। दिसंबर में ISIL-K ने पाकिस्तान के दूतावास पर चीनी नागरिकों पर हमले का दावा किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, ISIL-K लगभग हर रोज शिया अल्पसंख्यकों पर भी हमले करता है। कहा गया है कि मध्य और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में ISIL-K के लड़ाकों की संख्या 1 हजार से 3 हजार के बीच है। वहीं, अन्य सदस्यों का मानना है कि यह संख्या 6 हजार से ज्यादा हो सकती है।