Home Life Style भारत का जैतून फल है जलपाईगुड़ी में उगा जलपाई! दिल के लिए है लाभकारी

भारत का जैतून फल है जलपाईगुड़ी में उगा जलपाई! दिल के लिए है लाभकारी

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भारत का जैतून फल है जलपाईगुड़ी में उगा जलपाई! दिल के लिए है लाभकारी

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हाइलाइट्स

जलपाई फल को शरीर के लिए बेहद गुणकारी माना जाता है.
इस फल में बैक्टरिया रोधी गुण भी हैं जो आंतों को इन्फेक्शन से बचाते हैं.

Swad Ka Safarnama: आज हम आपको जलपाई नामक एक विशेष फल की जानकारी देने जा रहे हैं. इस फल को भारतीय या देसी जैतून माना जाता है. यह भारत और दक्षिण पूर्वी एशिया का फल है और इसे प्राचीन काल से पवित्र फल की श्रेणी में रखा जाता है. खट्टा और तीखा तथा अधिक पक जाने पर हलका सा मीठा हो जाने वाला यह फल शरीर में बेड कोलेस्ट्रॉल को रोकता है. यह हार्ट के फंक्शन को भी स्मूद बनाए रखता है. साथ ही शरीर को बैक्टिरिया से भी बचाए रखता है. हजारो वर्ष पुराना इतिहास है जलपाई का.

भोजन में खटास पैदा करने के लिए उपयोग होता है

जैतून दुनियाभर में इसलिए मशहूर है, क्योंकि इससे निकाला गया तेल शरीर के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है. लेकिन जलपाई (Jalpai) फल में तेल नहीं होता. यह दिखने में बिल्कुल जैतून जैसा होता है, लेकिन स्वाद में खट्टा और तीखा के अलावा पक जाने पर हलका मीठा हो जाता है. इसे भोजन में खटास बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में प्रयोग में लाया जाता है. भारत के पूर्व और उत्तर पूर्व राज्यों में नमक, मिर्च और सरसों के तेल के साथ इसकी स्वादिष्ट चटनी बनाई जाती है. गर्मी के महीनों में इसका बनाया हुआ अचार बेहद पसंद किया जाता है. इस फल को चीनी के साथ उबालकर स्वादिष्ट व पौष्टिक ड्रिंक भी बनाया जाता है. इसे धार्मिक फल की श्रेणी में भी रखा जाता है और धार्मिक अवसरों पर इसके बनाए विशेष पेय वितरित किए जाते हैं. जहां यह उगता है, वहां नमक व जीरे का तड़का लगाकर इसकी विशेष लस्सी बनाई जाती है, जिसे पाचक के रूप में भोजन के बाद सर्व किया जाता है.

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जलपाईगुड़ी क्षेत्र में पैदा होने से पड़ा यह नाम!

जलपाई फल की उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हो चुकी है. इसे भारत का फल माना है और पश्चिम बंगाल व आसाम के जंगलों में पैदा होकर यह आसपास के देशों में भी पहुंच गया. फूड हिस्टोरियन का मानना है कि इसकी खेती हजारों वर्ष पूर्व दक्षिण पूर्व एशिया, श्रीलंका और चीन में भी हो रही है. वे मानते हैं कि इसकी सबसे अधिक खेती पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी क्षेत्र में होती रही है, वहीं इसे इसका नाम जलपाई पड़ा. जलपाई का अर्थ है पौधा और गुड़ी का अर्थ है वह क्षेत्र जहां जलपाई उगाई जाती है. इसके पेड़ में फूल अप्रैल-मई के दौरान खिलते हैं और फल अक्टूबर-नवंबर में कटाई के लिए पक जाते हैं.

जाने-माने कृषि विज्ञानी प्रो़ रंजीत सिंह व प्रो़ एसके सक्सेना ने अपनी पुस्तक ‘Fruits’ में जानकारी दी है कि यह फल भारत और मलाया क्षेत्र का मूल निवासी है. यह आसाम और बंगाल के अलावा पश्चिमी घाट में खूब उगता है. यह जैतून जैसा ही दिखता है. इसका स्वाद तीखा होता है और होठों में झनझनाहट पैदा कर देता है. इसे भोजन में खटास पैदा करने के अलावा अचार के लिए भी सालों से प्रयोग में लाया जा रहा है.

रक्तवाहिकाओं में वसा नहीं जमने देता

जलपाई फल को शरीर के लिए बेहद गुणकारी माना जाता है. यह खराब कोलेस्ट्रॉल का रोकता है और हार्ट की फंक्शनिंग को स्मूद बनाए रखता है. मुंबई यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन व वैद्यराज दीनानाथ उपाध्याय मानते हैं कि जलपाई को आयुर्वेद में एक घटक के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है. इसका चूर्ण व अवलेह में प्रयोग किया जाता है. जलपाई में पाया जाने वाला रस बेड कोलेस्ट्रॉल का रोकता है और गुड कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है. यह रक्त वाहिकाओं में वसा नहीं जमने देता, जिससे हृदय तक रक्त सुचारू रूप से पहुंचता रहता है. ऐसा माना जाता है कि इस फल में पाया जाने वाला ओलिक अम्ल सूजन व कैंसर से लड़ने में मदद करता है.

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संक्रमण से बचाने के गुण भी हैं

इस फल में बैक्टरिया रोधी गुण भी हैं जो आंतों को इन्फेक्शन से बचाते हैं. अगर इसका नियमित सेवन किया जाए तो यह रक्तशर्करा (Bloodsuger) को भी कंट्रोल में रखता है. उसका कारण यह है कि इसमें एंटी-बायोटिक्स गुण हैं जो मधुमेह का उचित प्रबंधन करते चलते हैं. यही गुण शरीर को छोटे-मोटे संक्रमण से भी बचाए रखते हैं. आयुर्वेद मानता है कि इसका सेवन अल्जाइमर (भूलने की आदत) को रोकने में मददगार है.

Tags: Food, Lifestyle

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