Saturday, September 7, 2024
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भारत की दूसरी अयोध्या, महल के राजा के रूप में पूजे जाते हैं भगवान राम, बंदूक से दी जाती है सलामी, जानें लोकेशन


Raja Ram Mandir: आजकल हर रामभक्तों के जुबां पर अयोध्या शहर छाया हुआ है, सभी अयोध्या में जाकर भगवान रामलला के दर्शन करने के लिए बेताब हैं. लेकिन आज हम आपको भगवान राम की एक दूसरी नगरी के बारे में बताने जा रहे हैं. इसे हमारे देश की दूसरी अयोध्या के रूप में भी जाना जाता है. यह मध्यप्रदेश के ओरछा में स्थित एक भव्य महल है, जहां भगवान राम का सालों पुराना नाता है.

अयोध्या और ओरछा का नाता करीब 600 वर्ष पुराना है. यहां भगवान राम को किसी मंदिर में नहीं, एक महल में पूजा जाता है. यहां बड़ी संख्या में लोग भगवान राम के दर्शन करने के लिए आते हैं. यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान राम को एक राजा के रूप में पूजा जाता है. महल में उनके लिए हर दिन गार्ड ऑफ ऑनर आयोजित किया जाता है, राजा की तरह पुलिसकर्मियों को मंदिर में गार्ड के रूप में नियुक्त किया जाता है. हर दिन भगवान राम को सशस्त्र सलामी दी जाती है.

राजा राम महल का इतिहास
ओरछा के राजा मधुकर शाह वृंदावन के बांके बिहारी यानी भगवान कृष्ण के भक्त थे जबकि उनकी पत्नी रानी गणेश कुंवरि (भगवान राम की भक्त थीं. एक दिन राजा और रानी भगवान कृष्ण के मंदिर गए, लेकिन मंदिर बंद रहने के वजह से उन्होंने बाहर भक्तों के साथ नृत्य और गाना शुरू कर दिया. कहा जाता है कि इसी बीच भगवान कृष्ण और राधा प्रकट हुए और फूलों की बारिश होने लगी. तभी राजा ने अपनी रानी को अपने साथ भगवान कृष्ण की ब्रज भूमि मथुरा चलने के लिए कहा, लेकिन रानी को अयोध्या जाना था. इस बात से राजा क्रोधित हो गए और कहा कि अगर राम सच में होते तो वह भी तुम्हें दर्शन देते, अगर अयोध्या जाने की इतनी जिद्द है तो जाओ और तभी लौटना जब तुम्हारे साथ भगवान राम भी ओरछा आएं.

रानी ने राजा की बात मान ली, और प्रतिज्ञा की कि वह अयोध्या से रामलला को अपने साथ लेकर लोटेंगी नहीं तो वह सरयू नदी में डूबकी लगाकर अपना जान दे देंगी. नदी तट के पास उन्होंने ध्यान लगाना शुरू कर दिया, जब भगवान राम ने दर्शन नहीं दिए तो वह नदी में कूद गईं, तभी भगवान राम विष्णु के अवतार में प्रकट होते हैं. रानी उनसे ओरछा चलने को कहती हैं, तब वह रानी के सामने 3 शर्ते रखते हैं.

क्या थी राम की शर्तें
पहला- अयोध्या से ओरछा तक पैदल यात्रा होगी.
दूसरा- यात्रा पुष्य नक्षत्र में होगी.
तीसरी- जहां मूर्ति पहली बार रखी जाएगी वहीं स्थापित रहेगी और शासन किसी और का नहीं भगवान राम का चलेगा.

ओरछा पहुंचे रामलला
रानी ने सभी शर्ते मान लीं और भगवान राम को गोद में लेकर पैदल चल पड़ीं, ओरछा पहुंचकर वह शर्त भूल गईं और भगवान राम को अपने महल में ही बिठा दिया, तब से वह वहीं विराजमान हैं.

Tags: Ayodhya, Madhya pradesh news, Ram Mandir, Travel



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