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देश-दुनिया के लगभग सवा दो लाख लोगों ने 15 दिन में श्रीरामचरितमानस पढ़ी है। वहीं 17 लाख से अधिक लोगों ने इस ग्रंथ को वेबसाइट पर सर्च किया। इनमें भारत के अलावा अमेरिका, कनाडा, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, सिंगापुर और जर्मनी समेत कई अन्य देशों के लोग भी शामिल हैं।
अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रीरामचरितमानस और भगवान राम से जुड़ी अन्य पुस्तकों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। इन ग्रंथों की मांग बढ़ने और उसके सापेक्ष प्रतियां उपलब्ध न हो पाने के कारण गीता प्रेस ने इन्हें फ्री पढ़ने और डाउनलोड करने के लिए 16 से 31 जनवरी तक 15 दिन के लिए अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया था। इस दौरान 2 लाख 24 हजार 714 लोगों ने श्रीरामचरितमानस पढ़ी और 68 हजार 461 लोगों ने डाउनलोड किया। जबकि 17 लाख से अधिक लोगों ने इस ग्रंथ को वेबसाइट पर सर्च किया है। अमेरिका में 17643, कनाडा में 3518, यूनाइटेड किंगडम में 2048, यूनाइटेड अरब अमीरात में 1690, ऑस्ट्रेलिया में 1561, सिंगापुर में 776, त्रिनिदाद और टोबैगो में 1656, जर्मनी में 591 और नेपाल में 572 लोगों ने श्रीरामचरितमानस डाउनलोड कर पढ़ी है।
गीता प्रेस की वेबसाइट पर हिंदी, इंग्लिश, गुजराती, बांग्ला, नेपाली, मराठी, उड़िया सहित कुल 10 भाषाओं में श्रीरामचरितमानस, अयोध्या महात्म्य और अयोध्या दर्शन पुस्तकें अपलोड की गई थीं। हालांकि, अभी भी ये पुस्तकें वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, लेकिन निशुल्क डाउनलोड की सुविधा समाप्त कर दी गई है। गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि गीता प्रेस की वेबसाइट पर श्रीरामचरितमानस के सभी भाषाओं के संस्करणों सहित पांच सौ धर्मिक पुस्तकें अपलोड हैं, जिन्हें हजारों पाठक प्रतिदिन निशुल्क पढ़ रहे हैं। भारत के साथ अन्य देशों में भी सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था और गीताप्रेस की विश्वसनीयता बढ़ी है। इससे गीताप्रेस प्रबंधन गौरवान्वित है।