Monday, July 8, 2024
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भारत के किस शहर को कहा जाता है ‘वाइन कैपिटल’, जानिए यहां हैं कितनी वाइनरी


हाइलाइट्स

नासिक पिछले डेढ़ दशक में भारत की ‘वाइन राजधानी’ के रूप में उभरा है.
भारत में बनने वाली वाइन का एक बड़ा हिस्सा इसी शहर में तैयार किया जाता है.
1999 में खुली नासिक की पहली वाइनरी सुला वाइनयार्ड्स.

Wine Capital of India: मुश्किल से दस-पंद्रह साल पहले अगर कोई भारतीय वाइन टेस्ट करना चाहता था तो देश में उसके पास कोई विकल्प नहीं था. अगर वो हर हाल में अपनी यह ख्वाहिश पूरी करना चाहता है तो उसे फ्रांस, इटली और कैलिफोर्निया जैसे वाइन बनाने वाले किसी जगह की यात्रा करनी पड़ती. लेकिन अब देश में ही ऐसा एक शहर मौजूद है, जहां जाकर भारतीय या कोई इंटरनेशनल टूरिस्ट स्थानीय रूप से उत्पादित वाइन का स्वाद ले सकते हैं.

भारत का वह शहर नासिक है. यह भारत का वह शहर है जहां शराब काफी पहले से बनाई जाती रही है. लेकिन नासिक पिछले डेढ़ दशक में भारत की ‘वाइन राजधानी’ के रूप में उभरा है. नासिक महाराष्ट्र राज्य में मुंबई से लगभग 100 मील उत्तर पूर्व में स्थित है. नासिक का इतिहास बहुत समृद्ध है, यह वह स्थान माना जाता है जहां महासागरों का मंथन किया गया था. इसी स्थान पर सोमरस (सोम पौधों के अर्क से बना एक नशीला पेय) नामक कुछ पौराणिक अमृत गिरा था. आज नासिक भारत में वाइन उत्पादन का मुख्य केंद्र है, इसलिए इस शहर के लिए ‘वाइन कैपिटल‘ का तमगा एकदम उपयुक्त है. 

52 वाइनरी हैं इस शहर में
नासिक के बारे में यह काफी रोचक जानकारी है कि भारत में बनने वाली वाइन का एक बड़ा हिस्सा इसी शहर में तैयार किया जाता है. अकेले इस शहर में 52 वाइनरी हैं, जिसे चलाने के लिए 8000 एकड़ जमीन पर अंगूर की खेती की जाती है. अगर नासिक के आसपास मौजूद सभी तरह के अंगूर की बागवानी की बात करें तो उसका कुल क्षेत्रफल 18000 एकड़ के करीब है. क्योंकि नासिक में अंगूर की खेती काफी बड़े पैमाने पर होती है, इसलिए वहां मौजूद वाइनरी को वाइन बनाने के लिए आसानी से अंगूर उपलब्ध हो जाते हैं.

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खास है नासिक की मिट्टी
नासिक में अंगूरों की बंपर खेती में यहां की मिट्टी का भी हाथ है. यहां की मिट्टी एकदम अलग किस्म की होती है. इसमें रेड लैटराइट पाया जाता है. केवल मिट्टी की बात नहीं है, यहां का पानी का सिस्टम भी काफी बेहतर है. अंगूर की खेती के लिए पानी की काफी जरूरत पड़ती है. लेकिन सिस्टम बेहतर होने की वजह से पानी की उपलब्धता आसान है.

1999 में खुली पहली वाइनरी
सुला वाइनयार्ड्स के सीईओ राजीव सुरेश सामंत का कहना है कि नासिक प्राचीन शहर हो सकता है, लेकिन शराब उत्पादन इस क्षेत्र के लिए बिल्कुल नई चीज है. जब सामंत 1990 के दशक में कैलिफोर्निया से अपने परिवार की भूमि भारत लौटे, तो उन्होंने तुरंत देश में स्थानीय शराब की कमी को देखा. इलाके की क्षमता, बढ़ते मध्यम वर्ग और बढ़ती आबादी को देखते हुए, सामंत ने एक अवसर देखा. 1999 में, उन्होंने नासिक की पहली वाइनरी सुला वाइनयार्ड्स खोली. 

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लुप्त हो गई शराब की परंपरा
सामंत बताते हैं, ”नासिक हमेशा अपने अंगूरों के लिए प्रसिद्ध था और वास्तव में, भारत में 500 साल पहले शराब की परंपरा थी. कश्मीर में और हैदराबाद के बाहर अंगूर के बाग थे, फिर 200 या 300 वर्षों तक शराब पूरी तरह से लुप्त हो गई.” उनका कहना है कि शराब का उत्पादन कई कारणों से कम हो गया, जिनमें 19वीं शताब्दी में विनाशकारी फाइलोक्सेरा कीट का प्रकोप, ब्रिटिश शासन (1858-1947) के तहत बीयर की ओर सांस्कृतिक बदलाव और 1950 में भारत के संविधान द्वारा स्थापित निषेधात्मक शराब कानून शामिल हैं.

अच्छी वाइन बनाना था लक्ष्य
कैलिफोर्निया में वाइन का अध्ययन करने के बाद, सामंत का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मानक की बोतलें बनाना था. सुला के पास शिराज, रासा शिराज और कैबरनेट सॉविनन के 1,300 से अधिक ओक बैरल के साथ टेम्परेचर और ह्यूमिटिडी कंट्रोल्ड बैरल रूम है. ओक और वाइन स्वर्ग में बनी जोड़ी है. ओक का काम वाइन को ऊपर उठाना है, वह इसे साफ्ट, रिच और अधिक जटिल बनाता है.

फिलहाल, सामंत का अनुमान है कि भारत में पिये जाने वाले सभी मादक पेय पदार्थों में वाइन की हिस्सेदारी लगभग दो फीसदी होगी. लेकिन इसका सेवन किसी भी अन्य मादक पेय की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रहा है. आने वाले वर्षों में वाइन एक बहुत ही महत्वपूर्ण पेय बनने जा रहा है. निश्चित तौर पर इसमें नासिक की भी बड़ी भूमिका है.

Tags: Alcohol, History, Liquor, Maharahstra, Nashik, Wine



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