Friday, November 8, 2024
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भारत के मरीजों पर ‘ड्रैगन’ का अटैक; चीन के हैकर्स ने क्यों चोरी किया AIIMS का डाटा?


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बीते दिनों अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली के सर्वर पर साइबर अटैक होने का मामला सामने आया था और अब सामने आया है कि यह अटैक पड़ोसी देश चीन के हैकर्स ने किया था। सरकार से जुड़े एक सोर्स ने दावा किया है कि चाइनीज हैकर्स की ओर से किए गए इस अटैक में निशाना बनाए गए डाटा में से पांच सर्वर्स का डाटा सफलतापूर्वक वापस मिल गया है। बड़ा सवाल यह है कि चाइनीज हैकर्स आखिर भारतीय मरीजों का डाटा क्यों चोरी कर रहे हैं और ऐसा करके उन्हें क्या मिलेगा, आइए समझते हैं। 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जुड़े एक सोर्स ने बताया, “AIIMS दिल्ली के सर्वर पर किया गया अटैक चीन से हुआ था और इससे जुड़े कई तथ्य सामने आए हैं। जिन 100 सर्वर्स (40 फिजिकल और 60 वर्चुअल) का डाटा प्रभावित हुआ था, उनमें से 5 फिजिकल सर्वर्स का डाटा इन हैकर्स के हाथ लगा लेकिन हालात बदतर होने से पहले उनपर काबू पा लिया गया और यह डाटा फिर से वापस पाने में सफलता मिल गई है।” बता दें, डाटा लीक की पहली रिपोर्ट पिछले महीने 23 नवंबर को सामने आई थी।

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कमजोर नेटवर्क्स को निशाना बनाते हैं हैकर्स

चाइनीज हैकर्स ने AIIMS के सर्वर्स में सेंध क्यों लगाई इसके पीछे सबसे बड़ी वजह आसानी से बड़े डाटाबेस की चोरी से जुड़ी है। AIIMS के मरीजों का डाटा लीक या चोरी करना इतना आसान भी नहीं है लेकिन किसी बैंक या सरकारी विभाग के सर्वर के मुकाबले इसकी सुरक्षा कमजोर थी। यही वजह है कि हैकर्स ने आसान टारगेट का चुनाव किया और बड़ा डाटा हासिल करने में सफल भी रहे। हालांकि, AIIMS का दावा है कि सारा डाटा अब सुरक्षित है और हैकर्स अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके हैं। 

डार्क वेब पर डाटा बेचकर कमाई का मौका

हैकर्स अक्सर चोरी करने के बाद डाटा को डार्क वेब पर बेच देते हैं, जिससे उनकी कमाई होती है। इस बार भी हैकर्स ने धमकी दी थी कि भारतीय नागरिकों के मेडिकल रिकॉर्ड्स डार्क वेब पर बेच दिए जाएंगे लेकिन समय पर ऐक्शन ले लिया गया। ऐसे डाटा की मदद से किसी की पहचान चोरी करने या उसे नुकसान पहुंचाने जैसे काम किए जा सकते हैं। साथ ही दवाएं या मेडिकल उपकरण बनाने वाली चाइनीज कंपनियों के लिए भी इस तरह का डाटा काम का साबित हो सकता है। मेडिकल रिकॉर्ड्स को सबसे संवेदनशील डाटा सेट्स में शामिल किया जाता है।

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चाइनीज सरकार के साथ मिलकर होती है हैकिंग

भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति बनने पर अक्सर डाटा चोरी और सरकारी नेटवर्क्स पर हैकिंग अटैक्स के मामले सामने आते हैं। पूरी दुनिया मानती है कि चाइनीज सरकार खुद हैकिंग ग्रुप्स को चोरी-छुपे समर्थन दे रही है और इनपर कार्रवाई करने के बजाय इन्हें अन्य देशों को नुकसान पहुंचाने वाले टूल्स की तरह इस्तेमाल कर रही है। चाइनीज सरकार इस तरह बिना सामने आए किसी देश के महत्वपूर्ण साइबर नेटवर्क को ध्वस्त कर सकती है या फिर वहां के नागरिकों व सरकारी विभागों की जासूसी करवा सकती है।

सबसे खतरनाक हैं चीन और रूस के हैकर्स

सारी दुनिया में सबसे खतरनाक हैकर्स रूस और चीन के हैकिंग ग्रुप्स से जुड़े हैं और अमेरिका जैसे बड़े देश को भी इनसे निपटने के लिए पूरी ताकत झोंकनी पड़ती है। सबसे बड़ी परेशानी इन हैकर्स के दूसरे देश में छुपकर काम करने के चलते होती है और पहचान साबित होने पर भी इनपर कोई कार्रवाई तब तक नहीं की जा सकती, जब तक स्थानीय प्रशासन इसकी अनुमति ना दे। भारत में इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल से जुड़ी जागरूकता की कमी भी अक्सर बड़े साइबर अटैक्स की वजह बनती है और हर साल लाखों यूजर्स का डाटा चोरी होता है।



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