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Bharat Jodo Yatra Ends: कन्याकुमारी से पिछले साल सात सितंबर से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में खत्म हो गई। इस पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने 14 राज्यों की यात्रा की और कुल 134 दिनों में 3570 किलोमीटर चले। इस दौरान राहुल गांधी की टीशर्ट से लेकर उनके भाषण तक काफी चर्चित रहे। राजनीतिक एक्सपर्ट्स की राय है कि यात्रा ने राहुल की पुरानी छवि को बदला है और अब वह पहले के मुकाबले अधिक परिपक्व और गंभीर नजर आ रहे हैं। कांग्रेस सांसद और पार्टी इस यात्रा के बारे में दावा करती रही है कि यह आगामी लोकसभा चुनाव या अन्य चुनावों के लिए नहीं थी, बल्कि इसके जरिए वह भारत को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह भी साफ है कि सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस चुनावों में हिस्सा लेती है, तो कहीं न कहीं उसकी नजर यात्रा के जरिए जनता के बीच अपनी स्थिति को और मजबूत करना है। इस यात्रा से उत्साहित राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए भविष्य में कई चुनौतियां इंतजार कर रही हैं। यात्रा के खत्म होने के बाद से ही असली खेल शुरू होने वाला है। विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव के नतीजों से ही वास्तव में पता चलेगा कि राहुल की यह यात्रा कितनी सफल हुई है।
इस साल विधानसभा चुनाव की चुनौती से करना होगा सामना
मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत इस साल लगभग नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। शुरुआत अगले महीने त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड से हो रही है। इसके बाद कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य हैं, जोकि कांग्रेस की नजर में काफी अहम हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ही सरकार है, जहां उसके सामने फिर से सत्ता पाने की चुनौती होगी, जबकि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने के बाद से कमलनाथ ने अकेले पूरे दम से मोर्चा संभाला हुआ है। जहां बीजेपी के पास शिवराज सिंह चौहान, सिंधिया, तोमर जैसे कई दिग्गज चेहरे हैं, तो कांग्रेस के पास कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे ही कुछेक चेहरे हैं, जिससे पार्टी सालों का सूखा खत्म करने की कोशिश करेगी। उधर, कर्नाटक से ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आते हैं। ऐसे में उनके लिए यह बड़ा चुनाव साबित होने वाला है। इन तमाम राज्यों के चुनावों में राहुल गांधी की भी असल अग्निपरीक्षा होने वाली है। यदि कांग्रेस को कई राज्यों में जीत मिलती है तो उसका क्रेडिट भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी को जरूर जाएगा, लेकिन यदि नतीजे कांग्रेस के मनमुताबिक नहीं होते हैं, तो भारत जोड़ो यात्रा की सफलता पर सवाल उठने लगेंगे। चूंकि, अगले साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में इन विधानसभा चुनावों की अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये किसी सेमीफाइनल की तरह ही है, जहां पर जीत से दलों को ताकत मिलेगी।
लोकसभा चुनाव में कितनी सफल होगी कांग्रेस?
साल 2014 और 2019 में बुरी तरह शिकस्त खाने के बाद कांग्रेस के लिए आगामी लोकसभा चुनाव काफी मायने रखता है। कभी राज्यों से लेकर केंद्र तक, एकतरफा राज करने वाली पार्टी इस समय भले ही विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी लेकिन सांसदों की संख्या काफी कम है। कांग्रेस को अगले साल लोकसभा चुनाव में न सिर्फ अपने सांसदों की संख्या को काफी बढ़ाना होगा, बल्कि सत्ता हासिल करने के लिए भी पुरजोर मेहनत करनी होगी। चुनावी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस समय बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में है। हाल ही में इंडिया टुडे और सी वोटर के चुनावी सर्वे में भी दावा किया गया कि यदि आज चुनाव होते हैं, तो बीजेपी सरकार लगातार तीसरी बार सत्ता में आने वाली है। ऐसे में राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी कई अन्य अभियानों से जनता के बीच अपनी मौजूदगी को लगातार बरकरार रखना होगा। महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दों को उठाने के अलावा कांग्रेस को बूथ मैनेजमेंट पर भी काम करना होगा।
कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करने की चुनौती
ग्रैंड ओल्ड पार्टी होने की वजह से पार्टी के कार्यकर्ता गांव-गांव तक मौजूद हैं, लेकिन उन्हें फिर से सक्रिय करना होगा और पार्टी की ओर दोबारा मोड़ना होगा। इसके अलावा, राहुल के सामने पार्टी के भीतर नेताओं के आपसी मनमुटाव को भी दूर करने की चुनौती होगी। राजस्थान में अशोक गहलोत, सचिन पायलट हों या फिर छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, कांग्रेस में कई नेता हैं, जोकि सालों से आमने-सामने की स्थिति में हैं। इससे न सिर्फ जनता के बीच गलत मैसेज जा जाता है, बल्कि चुनावों पर भी असर पड़ता है। आपसी लड़ाई में उलझे रहने और बयानबाजी की वजह से जनता भी ऊबकर दूसरे विकल्पों की ओर देखने लगती है। ऐसे में यदि अगले साल कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में वापसी करनी है तो राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी सक्रिय रहना होगा और जनता के बीच उनसे जुड़े मुद्दों को उठाते रहना होगा।
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