Home World भारत ने बचा लिया, नहीं तो खून की नदियां बहतीं… ‘संकटमोचन’ हिंदुस्तान के आगे गद-गद हुआ श्रीलंका

भारत ने बचा लिया, नहीं तो खून की नदियां बहतीं… ‘संकटमोचन’ हिंदुस्तान के आगे गद-गद हुआ श्रीलंका

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भारत ने बचा लिया, नहीं तो खून की नदियां बहतीं… ‘संकटमोचन’ हिंदुस्तान के आगे गद-गद हुआ श्रीलंका

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कोलंबो: भारत के दक्षिण में बसे श्रीलंका ने पिछले साल भारी वित्तीय संकट का सामना किया था। स्थिति इतनी खराब हो गई कि वह विदेशी कर्जों को डिफॉल्ट कर गया। लेकिन इस दौरान भारत उसकी मदद के लिए आगे आया। श्रीलंकाई संसद के स्पीकर महिंदा यापा अबेवर्धने ने पिछले साल आर्थिक संकट के दौरान शनिवार को भारत की तरफ से मिलने वाली मदद की सराहना की। मार्च 2022 में श्रीलंका अपने 51 अरब डॉलर के कर्ज पर डिफॉल्ट कर गया था। तब भारत ने 4 अरब डॉलर की इमरजेंसी सहायता दी थी, जिसमें एक अरब डॉलर का क्रेडिट लाइन भी शामिल था।

ऐसी स्थिति में श्रीलंका का साथ देने पर अबेवर्धने ने भारत को एक भरोसेमंद दोस्त बताया जिसकी मदद से देश में खूनखराबा होने को रोक दिया गया। उन्होंने कहा, ‘मैं बताना चाहूंगा कि पिछले साल हमारे ऊपर जो मुसीबत आई, उस दौरान भारत ने हमें बचाया। नहीं तो हम सभी के लिए एक और नरसंहार होता। भारत इस तरह हमारी मदद के लिए उतरा और आज भी मैंने सुना कि भारत हमारे कर्जों के पुनर्गठन को 12 साल के लिए बढ़ाने को तैयार है, जो पूरी तरह अप्रत्याशित है। इससे पहले कभी किसी एक देश ने इस तरह की सहायता नहीं दी।’

भारत ने क्या कहा

भारत ने सबसे बड़े आर्थिक संकट से उबरने के श्रीलंका के प्रयासों का समर्थन करने में ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाने की अपनी इच्छा की पुन: पुष्टि की है। कोलंबो में निर्माण, बिजली एवं ऊर्जा एक्सपो 2023 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए भारत के उप उच्चायुक्त विनोद के जैकब ने शुक्रवार को कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच हाल में गहरे हुए संबंधों ने दोनों देशों के बीच दोस्ती और सर्वांगीण सहयोग को मजबूत किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस साल जनवरी में आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) की ऋण प्रक्रिया शुरू करने के लिए श्रीलंका को आवश्यक वित्त पोषण के संबंध में आश्वासन देने वाले पहले देश थे। जापान और पेरिस क्लब के साथ ऋणदाता समिति के सह-अध्यक्ष के रूप में भारत रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा।’’

1948 के बाद सबसे बड़ा संकट

भारत इस साल जनवरी में श्रीलंका के वित्त पोषण और ऋण पुनर्गठन के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को अपना समर्थन पत्र सौंपने वाला पहला देश था।
जैकब ने कहा कि भारत की ओर से श्रीलंका को दी गई चार अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय एवं मानवीय सहायता आईएमएफ की कुल प्रत्याशित विस्तारित निधि सुविधा से कहीं अधिक है। विदेशी मुद्रा की भारी कमी के कारण श्रीलंका 2022 में वित्तीय संकट की चपेट में आ गया था, जिससे 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद से इस द्वीपीय देश में सबसे बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया था।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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