नई दिल्ली. भारत में हाल फिलहाल में फैल रहे आई फ्लू को छोड़ दें तो आंखों की कई गंभीर बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. आंखों की गई बीमारियों की वजह से अंधापन या दिखाई देने में परेशानी के मामले गंभीर होते जा रहे हैं. यही वजह है कि ब्लाइंडनेस के इस वजन को कम करने के लिए सभी लोगों तक प्राइमरी आई केयर ट्रीटमेंट की सुविधा होना जरूरी है. विजन 2020 द राइट टू साइट के अनुसार हर 50 हजार की आबादी पर एक विजन सेंटर होना चाहिए. हालांकि अभी आरपी सेंटर एम्स दिल्ली की तरफ से दिल्ली-एनसीआर में 17 विजन सेंटर्स चलाए जा रहे हैं.
इन विजन सेंटर्स पर न केवल आंखों की पूरी जांच होती है बल्कि आंखों की रोशनी को छीनने वाले प्रमुख रोग जैसे मोतियाबिंद या काला मोतिया यानि ग्लूकोमा और डायबिटिक रेटिनोपैथी आदि की भी जांच की जा रही है. ये सभी ऐसी बीमारियां हैं जो बहुत जल्दी और प्राइमरी स्तर पर पैदा हो जाती हैं लेकिन अगर जांच न कराई जाए तो इनकी जानकारी हो पाना काफी मुश्किल है. जिसके चलते ये बीमारियां बड़ी हो जाती हैं और रोशनी छिनने का कारण बन जाती हैं.
दिल्ली के राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज, एम्स में कम्यूनिटी नेत्र विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण वशिष्ठ बताते हैं कि दिल्ली एनसीआर में दिल्ली सरकार, नगर निगम, एनजीओ आदि की मदद से आरपी सेंटर 17 जगहों पर विजन सेंटर्स चला रहा है. जिन इलाकों में ये सेंटर्स खोले गए हैं वे सभी ऐसे इलाके हैं जहां या तो झुग्गियां हैं या पिछड़े हुए हैं. एक विजन सेंटर लगभग 50 हजार की आबादी को कवर कर रहा है. यहां प्रमुख रूप से आरपी सेंटर द्वारा भेजे गए ऑप्टोमेट्रिस्ट के द्वारा लोगों को आंखों की बीमारियों को लेकर जागरुक किया जाता है, आंखों की जांच की जाती है. निशुल्क चश्मा दिया जाता है और फ्री दवाएं दी जाती हैं.
डॉ. वशिष्ठ बताते हैं कि इन सेंटर्स पर डायबिटिक रेटिनोपैथी, कैटरैक्ट या ग्लूकोमा जैसी अंधा बनाने वाली बीमारियों की जांच भी की जाती है. इसके लिए आरपी सेंटर की ओर से ऑप्टोमेट्रिस्ट को बाहर से मंगाया हुआ पोर्टेबल नॉन मायड्रियाटिक फंडस कैमरा भी दिया जाता है. इस कैमरे से जांच के लिए 30 मिनट तक आंख की पुतली में दवा डालकर डायलेट करने की जरूरत नहीं पड़ती और यह तुरंत ही आंख के फंडस की जांच करने में कारगर है.
कम्युनिटी आधारित कार्यक्रम के तहत एम्स ने लगभग दो हजार मरीजों की आरपी सेंटर में सर्जरी की है। आरपी सेंटर के कम्युनिटी नेत्र विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण वशिष्ठ ने बताया कि एम्स एकमात्र अस्पताल है, जो कम्युनिटी के बीच 17 विजन केंद्र चला रहा है। एम्स यह केंद्र दिल्ली सरकार, नगर निगम व विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की मदद से चला रहा है।
दिल्ली-एनसीआर में इन 17 जगहों पर चल रहे विजन सेंटर्स
नांगली डेयरी
त्रिलोकपुरी
मांदीपुर
नांगल राया
चिराग दिल्ली
जौनापुर
फतेहपुर बेरी
बसंत गांव
महरौली
सराय काले खां
दारूहेड़ा
तावडू
पटेल गार्डन
जनकपुरी
संजय कॉलोनी
सोहना
जाट खोर
रेफरल और फ्री इलाज की बड़ी सुविधा
डॉ. प्रवीण वशिष्ठ कहते हैं कि इन विजन सेंटर्स पर इलाज कराने वाले लोगों को फ्री इलाज तो मिल ही रहा है लेकिन इन्हें एक बड़ी सुविधा भी मिली हुई है. अगर इन्हें प्राइमरी आई केयर के बाद आगे भी इलाज की जरूरत पड़ती है तो इन्हें एम्स दिल्ली के आरपी सेंटर में सीधे ही रैफर किया जा सकता है. ये बिना सामान्य लाइन में लगे आरपी सेंटर में इलाज करा सकते हैं. वहीं अगर इनकी मोतियाबिंद या ग्लूकोमा आदि की कोई सर्जरी होती है तो वह भी पूरी तरह निशुल्क होती है.
और खुलेंगे विजन सेंटर्स
डॉ. वशिष्ठ कहते हैं कि भारत सरकार ने नेशनल नेशनल प्रोग्राम फ़ॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विसुअल एम्पेयर्मेंट के तहत विजन सेंटर्स की संख्या बढ़ाए जाने को प्राथमिकता दी है. ऐसे में पीएचसी और सीएचसी स्तर पर और विजन सेंटर्स खोले जाने की उम्मीद पैदा हुई है. हालांकि फिलहाल आरपी सेंटर के मॉडल विजन सेंटर्स ही शुरू किए गए हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 25, 2023, 16:20 IST