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भारत में रूसी विदेश मंत्री ने किस तरह से रखा अपने देश का पक्ष

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भारत में रूसी विदेश मंत्री ने किस तरह से रखा अपने देश का पक्ष

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हाइलाइट्स

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रूस यूक्रेन युद्ध पर अपने देश का पक्ष रखा.
लावरोव ने कहा उनके देश युद्ध रोकने की कोशिश कर रहा है.
इस युद्ध को नाटो और पश्चिमी देशों ने उनके देश पर थोपने का काम किया है.

दुनिया भारत की तरफ रूस यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए उम्मीद भरी नजरों से देख रही है. इसके लिए एक अवसर भी देखने को मिला जब भारत में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अमेरिकी विदेशमंत्री एंटोनी ब्लिंकलन आमने सामने आए और उनकी मुलाकात भी हुई वहीं इस मौके पर लावरोव का भी एस एक इंटरव्यू हुआ जिसमें उन्होंने अपने युद्ध पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि रूस पर युद्ध थोपा गया है. रूस के यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई पर हुए कई सवालों के जवाबों में लावरोव ने बार बार विक्टम कार्ड खेलते हुए कहा कि उनका देश युद्ध रोकने के लिए पश्चिम और नाटो से लड़ रहा है.

युद्ध रोक रहा है रूस?
यह पहली बार था जब युद्ध के बाद रूस और अमेरिका के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई, लेकिन उससे भी अहम यह इंटरव्यू था जिसमें लोग यह जानना चाह रहे थे कि आखिर रूस अपना क्या पक्ष रखना चाहता है. यहां लावरोव ने साफ कहा कि रूस नाटो और पश्चिम द्वारा उनके खिलाफ छेड़े गए युद्ध को रोक रहा है.

नाटो ने तोड़ा है संकल्प
एक सवाल के जवाब में लावरोव ने कहा कि फ्रांस के राजदूत ने इजरायल को इस बात की पुष्टि की है कि नाटो ने संकल्प लिया था कि वह अपने सुरक्षा गठबंधन का विस्तार नहीं करेगा. ऐसा उसने एक बार नहीं बल्कि दो बार, पहले 1999 में और उसके बाद साल 2010 में किया था. लावरोव ने कहा कि यहां तक कि नाटो ने तो कई लिखित प्रतिबद्धताएं तक तोड़ी हैं.

सहयोगी चुनने की सीमाएं?
लावरोव ने इसे बारे में बताया कि उनके देश ने कहा कि सुरक्षा को बांटा नहीं जा सकता, नाटो ने कहा कि हर देश अपने सुरक्षा गठबंधनों या सहयोगियों को चुनने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन कोई भी देश दूसरों की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की कीमत पर ऐसा चुनाव नहीं कर सकता है नाटो ने सभी प्रतिबद्धताओं की तोड़ा है.

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इंटरव्यू में युद्ध में रूस का पक्ष जानने पर ज्यादा जोर देखा गया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

यूक्रेन में सेना जमावड़े को बढ़ावा
उन्होंने आगे कहा कि रूस ने नाटो से कहा कि यह सही नहीं है. साथ ही यह भी कहा कि राजनैतिक प्रतिबद्धता को कानूनी प्रतिबद्धता में बदल देना चाहि, लेकिन नाटो ने उसके प्रस्ताव को खारिज कर दिया. ना तो तेल की प्रतिबद्धता पर और ना ही वैधानिक प्रतिबद्धता जैसे मामलों पर नाटो के रवैये ने यूक्रेन में सेना के जमाव को बढ़ावा दिया.

सवाल के जवाब में सवाल?
यूक्रेन पर भारी मात्रा में मिसाइलों से हमला करने और वहां पर बम बरसाने के औचित्य  के सवाल पर लावरोव ने पूछा कि क्य आपने कभी यह पूछा कि उन्होंने अफगानिस्तान, ईरान और इराक में क्या किया है, उन्हें याद नहीं है कि उन्होंने 1999 में सर्बिया पर बम गिराए थे. सर्बिया पर बम गिराए जाने पर क्या हुआ था. इसके बाद उन्होंने फिर जोर दिया वे एक युद्ध हर रूसी चीज के खिलाफ रक्षा कर रहे हैं. क्या आप अंग्रोजों को आयारलैंड में खारिज करने की कल्पना सकते हैं.

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