Sunday, December 15, 2024
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भारत संग मिलकर चीन की कब्र खोदने की तैयारी में अमेरिका, दक्षिण चीन सागर में मांगा साथ, घर में घिरेगा ड्रैगन


वॉशिंगटन: ताइवान और पड़ोसी देशों को डरा रहे चीन की बढ़ती दादागिरी पर अमेरिका करारा प्रहार करने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका न केवल अब फिलीपीन्‍स के अंदर नए सैन्‍य अड्डे बना रहा है, बल्कि ताइवान को लगातार घातक हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। अब अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत के साथ मजबूत साझीदारी करने की इच्‍छा जताई है। इससे पहले चीन ने अमेरिका के साथ सैन्‍य स्‍तर पर फिर से सीधे संपर्क को शुरू करने को खारिज कर दिया था। चीन और अमेरिका के बीच तनाव अपने चरम पर है और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की यात्रा के बाद भी यह कम नहीं हुआ है।

बुधवार को पूर्वी एशिया के लिए अमेरिका के एक वरिष्‍ठ राजनयिक ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ दक्षिण चीन सागर में अपना सहयोग बढ़ाएगा। दक्षिण चीन सागर में चीन का कई देशों के साथ सीमाई विवाद है और ड्रैगन ताइवान पर अपना दावा करता है। दक्षिण चीन सागर दुनिया का वह स्‍थान है जो सामरिक लिहाज से बहुत महत्‍वपूर्ण है। यहां से हर साल 3 ट्रिलियन डॉलर का जहाजों के जरिए व्‍यापार होता है। चीन व्‍यवहारिक रूप से दावा करता है कि यह पूरा समुद्री इलाका उसका है।
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भारत-अमेरिका दुनिया में सबसे करीबी पार्टनर

चीन कहता है कि विवादों का समाधान क्षेत्रीय सरकारों के द्वारा होना चाहिए और इसमें बाहरी ताकतों का हस्‍तक्षेप न हो। अमेरिका ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब अमेरिका और भारत दोनों ने ही खुद को पिछले सप्‍ताह दुनिया में सबसे करीबी पार्टनर घोषित किया है। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने यह ऐलान किया है। इस दौरान बाइडन और पीएम मोदी दोनों ने समुद्री नौवहन में आ रही चुनौतियों को अंतरराष्‍ट्रीय कानून के मुताब‍िक दूर करने पर बल दिया था।

अमेरिकी अधिकारी डेनिअल क्रिटेनब्रिंक ने कहा कि अमेरिका ने पाया है कि चीन की विवादित जलक्षेत्र में दादागिरी स्‍पष्‍ट और लगातार बढ़ी है। यह पूछे जाने पर कि क्‍या भारत की दक्षिण चीन सागर में और ज्‍यादा भूमिका तथा सहयोग होगा तो इस पर उन्‍होंने कहा, ‘हां।’ उन्‍होंने कहा कि क्षेत्रीय शक्तियों के समूह क्‍वॉड के देशों अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्‍ट्रेलिया में व्‍यापक सहयोग होगा। चीन लगातार ताइवान पर हमले की धमकी दे रहा है जिसे अमेर‍िका से कानूनी सुरक्षा हासिल है। यही वजह है कि अमेरिका भारत का साथ चाहता है।



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