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Geopsychology: शोधकर्ताओं ने भौगोलिक स्थिति और व्यक्तिगत व्यक्तित्व लक्षणों के बीच आकर्षक संबंध का खुलासा किया है. मनोविज्ञान के एक क्षेत्र जियोसाइकोलॉजी के मुताबिक, आपके रहने की जगह के आधार पर इस बात को आकार मिलता है कि आप कौन हैं. हाल में किया गया एक अध्ययन किसी व्यक्ति के परिवेश और उसके मनोवैज्ञानिक ढांचे के बीच जटिल संबंधों का पता लगाता है. भू-मनोविज्ञान किसी व्यक्ति के मनोविज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहार और दृष्टिकोण पर क्षेत्रों, देशों, राज्यों, संस्कृतियों और इलाकों जैसी भौगोलिक विविधताओं के असर की पड़ताल करता है.
शोधकर्ताओं का लक्ष्य तमाम विविधताओं का विश्लेषण कर मनोवैज्ञानिक घटनाओं के स्थानिक संगठन का मानचित्रण करना और उनकी व्यवस्था के पीछे के तंत्र को समझना है. अध्ययन से पता चला है कि विभिन्न भौगोलिक स्थानों में अद्वितीय सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और जलवायु संबंधी विशेषताएं होती हैं. ये लोगों की विशेषताओं, भौतिक विशेषताओं और सामाजिक पहचान को आकार दे सकती हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, शहर की हलचल भरी सड़कों से लेकर शांत ग्रामीण इलाकों तक का वातावरण हमारी मानसिकता और व्यवहार को आकार देने में बड़ी और अहम भूमिका निभाता है.

भू-मनोविज्ञान के अनुसार, अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के व्यक्तित्व भी काफी अलग होते हैं. (Image: ShutterStock)
कैसे अलग होता है लोगों का व्यक्तित्व?
भू-मनोविज्ञान के अनुसार, अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के व्यक्तित्व भी काफी अलग होते हैं. हाल के निष्कर्षों के मुताबिक, अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों की कर्तव्यनिष्ठा, सहमति, विक्षिप्तता और खुलापन जैसे लक्षणों में बड़ा अंतर होता है. उदाहरण के लिए, दक्षिणी क्षेत्रों के लोगों में उच्चस्तर की सहमति की भावना रहती है. वहीं, पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लोग विक्षिप्तता की प्रवृत्ति ज्यादा प्रदर्शित करते हैं. हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि ये निष्कर्ष सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू नहीं होते हैं. तमाम समानताओं के बाद भी हर भौगोलिक स्थान में लोगों के बीच व्यक्तिगत अंतर बना रहता है.
व्यक्तित्व में आनुवांशिकता की भूमिका
जियोसाइकोलॉजी जोर देकर कहती है कि भूगोल व्यक्तित्व का अकेला निर्धारक नहीं है. इसके बजाय इस पर आनुवांशिक कारकों, पर्यावरणीय प्रभावों और भौगोलिक पहलुओं का भी पूरा असर रहता है. किसी व्यक्ति के व्यवहारिक स्वरूप का लगभग आधा हिस्सा आनुवांशिकी के कारण होता है, जबकि अन्य आधा भौगोलिक परिवेश समेत बाहरी कारकों से प्रभावित होता है. भू-मनोविज्ञान हमें खुद को और आसपास की दुनिया को समझने का नया नजरिया उपलब्ध कराता है. भूगोल और मनोविज्ञान के बीच संबंधों का अध्ययन करके शोधकर्ता यह जानने का प्रयास करते हैं कि हमारा परिवेश हमारे व्यक्तित्व, मानवीय गुणों, खुशी, कल्याण, राजनीतिक विचारधाराओं और व्यक्तिगत चिंताओं को कैसे आकार देता है.

किसी व्यक्ति के व्यवहारिक स्वरूप का आधा हिस्सा भौगोलिक परिवेश समेत बाहरी कारकों से प्रभावित होता है. (Image: File Photo)
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मतभेदों और समानता का लगेगा पता
व्यक्तित्व से जुड़े ज्ञान के जरिये हम उन अलग-अलग तरीकों के बारे में जान सकते हैं, जिनसे हमारा पर्यावरण हम पर असर डालता है. भू-मनोविज्ञान हमें एक नया नजरिया देते हैं, जिसके जरिये हम सांस्कृतिक मतभेदों और समानताओं का पता लगा सकते हैं. सीमाओं के पार व्यक्तित्व लक्षणों की जांच करके शोधकर्ता मानव व्यवहार की जटिल टेपेस्ट्री के रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं. साथ ही इस बात पर रोशनी डाल सकते हैं कि भौगोलिक कारक मतभेदों में कैसे योगदान करते हैं.
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Tags: Geology, Interesting news, Interesting story, New Study, Research
FIRST PUBLISHED : July 19, 2023, 21:58 IST
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