Tuesday, December 17, 2024
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मणिपुर में जारी हिंसा के बीच बीरेन सिंह ने कूकी समुदाय पर कसा तंज, पूछा- म्यांमार से हो क्या?


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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह शनिवार को एक और विवाद में फंस गए। उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कई ट्वीट किए गए और सोशल मीडिया यूजर्स उनके इस्तीफे की मांग करने लगे। ट्वीट को बाद में हटा दिया गया। विपक्ष और आदिवासी समूहों ने उनका इस्तीफा मांगा है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर हिंसा प्रभावित राज्य को भड़काने का आरोप लगाया।

इससे पहले बीरेन सिंह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि, बाद में उन्होंने अपना मन बदल लिया। उनके इंफाल स्थित घर के बाहर एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों ने उन्हें 200 मीटर दूर राज्यपाल के आवास की ओर बढ़ने से रोक दिया। इसके बाद उन्होंने इस बात की घोषणी की कि वह इस्तीफा देने नहीं जा रहे हैं। बीरेन सिंह ने कहा, ”इस महत्वपूर्ण मोड़ पर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दूंगा।”

थांग कुकी नाम से एक ट्विटर हैंडल ने ट्वीट कर कहा कि सीएम को बहुत पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। इसके जवाब में बीरेन सिंह के आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट किया गया, “आप भारत से हैं या म्यांमार से?”

बीते 3 मई से मणिपुर जातीय झड़पों की चपेट में है। मणिपुर उच्च न्यायालय ने एक आदेश दिया था। कोर्ट ने सरकार से सिफारिश की थी कि मणिपुर में 53% आबादी वाले प्रमुख समुदाय मेइतेई को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किया जाए। इसके कारण जनजातीय आबादी विशेषकर कुकी ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद पूरे राज्य में तनाव के कारण झड़पें हुईं। इसके बाद से लगातार हिंसा जारी है। अब तक कम से कम 117 लोगों की मौत हो चुकी है। 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। आपको बता दें कि बीरेन सिंह भी प्रमुख मैतेई समुदाय से ही आते हैं।

बीरेन सिंह ने एक अन्य ट्वीट का जवाब दिया जो जातीय दोषों पर आधारित प्रतीत होता था। “एंथोनी लंकिम” नाम के एक ट्विटर हैंडल से कहा गया कि वह मणिपुर के चंदेल जिले के एक गांव जलेंगम के निवासी हैं। बीरेन सिंह के हैंडल से जवाब में कहा गया, “म्यांमार में हो सकता है।”

“लाल हकीप” नाम के एक हैंडल ने कहा, म्यांमार में भी मेइतेई लोगों की एक बड़ी आबादी है, लेकिन उनमें से सभी को बर्मी नहीं कहा जाता है। सीएम के अकाउंट से आए जवाब में कहा गया, “म्यांमार में मैतेई कभी भी म्यांमार में अपनी मातृभूमि नहीं मांगते हैं।”



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