मथुरा के वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ नियंत्रण के लिए नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसके तहत मंदिर का परिक्रमा मार्ग भी बंद कर दिया गया है। अब इस मार्ग पर दोपहिया वाहन पार्क किए जाने लगे हैं। परिक्रमा जैसी परंपरा खत्म होने से श्रद्धालुओं की आस्था आहत हो रही है। इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती के दौरान भीड़ के कारण दो लोगों की मौत के बाद भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस नित नए प्रयोग कर रही है। इसी के तहत सुरक्षा प्रतिबंधों का हवाला देकर पुलिस ने मंदिर की परिक्रमा वाले गलियारे में बैरियर और गेट चढ़वा दिए हैं। आवागमन बंद होने से यह हिस्सा खाली पड़ा रहता है। इस पर अब दोपहिया वाहन खड़े होने लगे हैं। इससे श्रद्धालुओं की श्रद्धा आहत हो रही है। स्थानीय लोग इस पर रोष जता रहे हैं।
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स्थानीय गोस्वामी सेवायतों के अनुसार बांके बिहारीजी की परिक्रमा देने की परंपरा वर्षों पुरानी है। इस परिक्रमा मार्ग में आचमन कूप भी है। बांके बिहारी ठाकुरजी के श्रंगार में जिस जल, दूध-दही इत्यादि पंचामृतों का इस्तेमाल होता है। उसका प्रसाद आचमन कूप से ही निकलता है। परिक्रमा करते हुए श्रद्धालु यहां आचमन लेते थे। लेकिन परिक्रमा बंद होने से यह भी नहीं ले पा रहे हैं।
मोहन गोस्वामी ने कहा कि बांके बिहारीजी की परिक्रमा वर्षों से दी जाती रही है। नई-नई व्यवस्था के चलते परिक्रमा की प्राचीन परंपरा खत्म हो गई है। प्रशासन को जो भी व्यवस्था बनानी चाहिए, वह धर्म और आस्था को देखते हुए होनी चाहिए। मयंक गोस्वामी ने कहा कि बांकेबिहारी की परिक्रमा बचपन से देते हुए चले आ रहे हैं। एक तो परिक्रमा बंद कर दी है। वहीं अब उस परिक्रमा मार्ग में दो पहिया वाहन खड़े किये जा रहे हैं। ये शर्मनाक स्थिति है।