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BJP Candidate List MP-CG: साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। गुरुवार को बीजेपी ने अपने रिवाज को बदलते हुए एमपी और छत्तीसगढ़ में उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। मध्य प्रदेश में 39 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई, जबकि छत्तीसगढ़ के 21 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। दोनों राज्यों से 60 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान तब किया गया है, जब चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है। आमतौर पर बीजेपी विधानसभा चुनाव का बिगुल फुंकने के बाद ही कैंडिडेट्स के नाम बताती है, लेकिन इस बार उसने काफी पहले घोषणा करके राजनैतिक जानकारों को चौंका दिया है।
काफी समय पहले कैंडिडेट्स को उतारने के पीछे वजह?
यूं तो किसी भी दल के पास अधिकार है कि जब उसका मन करे या तैयारी हो, तब उम्मीदवारों का ऐलान करे, लेकिन कहते हैं कि बीजेपी हर एक दांव सोच-समझकर चलती है। बीते एक दशक से चुनावी रणनीति बनाने में बीजेपी का कोई तोड़ नहीं है। यही वजह है उसे तमाम चुनावों में एक के बाद एक सफलता भी मिलती रही। अब एमपी और छत्तीसगढ़ में भी समय से काफी पहले उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के पीछे अहम वजह बताई जा रही है। कुछ सर्वों से पता चलता है कि दोनों राज्यों में बीजेपी के लिए स्थिति पहले की तरह अनुकूल नहीं है। 2018 में भी भाजपा दोनों राज्यों को गंवा चुकी थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी का दामन थामने के बाद एमपी में वापसी हो गई। अब समय से पहले कैंडिडेट को उतारने से उनके पास जनता के बीच जाकर कांग्रेस के उम्मीदवारों की तुलना में अधिक पैठ बनाने का मौका होगा। वोटर भी अपने कैंडिडेट्स को समझ सकेंगे और उम्मीदवारों के पास भी जनता को यह समझाने के लिए भरपूर समय होगा कि उन्हें जीत मिलती है तो वे क्षेत्र के विकास के लिए क्या-क्या करेंगे।
हिमाचल, कर्नाटक चुनाव से लिया सबक?
बीजेपी आमतौर पर कैंडिडेट्स का ऐलान चुनाव से काफी पहले नहीं करती है। यही ट्रेंड पिछले हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक जैसे विधानसभा चुनावों में भी देखा गया था। लेकिन पार्टी को उसका नुकसान उठाना पड़ा। आखिरी समय में उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद दोनों राज्यों में कई उम्मीदवार बागी हो गए। हिमाचल प्रदेश में तो बागियों की लिस्ट 20 से अधिक हो गई थी। कुल 21 बागी उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिसमें से नौ उम्मीदवारों ने बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचा था। इसके अलावा, कर्नाटक में भी बागियों ने बीजेपी के लिए सिरदर्द पैदा किया। दोनों राज्यों में बीजेपी आलाकमान के पास इतना समय नहीं था, जिससे वह बागियों को समझा सके। अब जब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भगवा दल ने चुनाव से करीबन दो महीने पहले उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है तो अगर कहीं बगावत देखने को भी मिलती है तो बीजेपी आलाकमान के पास उसे रोकने के लिए भरपूर समय मिल जाएगा। इससे चुनाव में होने वाले नुकसान की आशंका भी कम हो सकेगी।
मुख्यमंत्री चाचा के खिलाफ भतीजे को बीजेपी ने उतारा
छत्तीसगढ़ में इस बार चाचा-भतीजे के बीच जंग देखने को मिलने वाली है। दरअसल, बीजेपी सांसद विजय बघेल को उनके चाचा और राज्य के सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ मैदान में उतारा गया है। विजय अभी दुर्ग संसदीय सीट से सांसद हैं और उन्हें पाटन सीट से कैंडिडेट बनाया गया है। पार्टी ने इन दोनों प्रदेशों के लिए जारी उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में पांच-पांच महिलाओं को टिकट दिए हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ भाजपा ने सांसद विजय बघेल को मैदान में उतारा है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने मध्य प्रदेश में जबलपुर पूर्व से अंचल सोनकर, झाबुआ से भानू भूरिया और छतरपुर से ललिता यादव को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ की कोरबा विधानसभा सीट से लखनलाल देवांगन और पाटन से सांसद विजय बघेल को उम्मीदवार बनाया है।
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