पुस्तक मेला में आज दो चर्चित रचनाकारों को ‘स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान’ से सम्मानित किया गया. लेखक मंच पर आयोजित एक कार्यक्रम में ‘स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास’ द्वारा उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया. इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कवि विष्णु नागर मुख्य अतिथि थे और चर्चित लेखक इब्बार रब्बी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. युवा साहित्यकार पल्लव ने सम्मान समारोह का संचालन किया.
वर्ष 2021 के लिए मनोज कुमार पांडेय को उनके कहानी संग्रह ‘बदलता हुआ देश’ और वर्ष 2022 के लिए शिरीष खरे को उनकी कथेतर कृति ‘एक देश बारह दुनिया’ के लिए ‘स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान’ प्रदान किया गया. इब्बार रब्बी ने दोनों लेखकों को शॉल, प्रशस्ति पत्र और ग्यारह हजार रुपए की राशि भेंट की. प्रशस्ति पाठ सुमन परमार और राघवेन्द्र रावत ने किया.
इस अवसर पर विष्णु नागर ने कहा कि लेखक की स्मृतियों को बचाया जाना चाहिए. स्मृतिविहीन होते जा रहे समाज में यह अत्यंत दुष्कर कार्य है तब भी मानवीय अर्थवत्ता के लिए इसकी जरूरत बनी रहेगी. विष्णु नागर ने कहा कि स्वयं प्रकाश सामाजिक सरोकारों वाले बड़े लेखक थे. नागर ने उनकी प्रसिद्ध कहानियों ‘नीलकांत का सफर’, ‘गौरी का गुस्सा’ और ‘पार्टीशन’ की चर्चा भी की.
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कवि इब्बार रब्बी ने कहा कि सम्मान के लिए जिन दोनों लेखकों का चयन किया गया है वे स्वयं प्रकाश जैसे कथाकारों की लेखन परंपरा का विकास करते हैं. उन्होंने स्वयं प्रकाश को याद करते हुए कहा कि अपनी कहानियों के लिए उन्हें कभी भूला नहीं जा सकता. समारोह में स्वयं प्रकाश की कहानियों के चयन ‘रेल के सफर में’ का लोकार्पण भी किया गया.
‘स्वयं प्रकाश स्मृति’ के वरिष्ठ सदस्य डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि न्यास द्वारा स्वयं प्रकाश की स्मृति में यह सम्मान शुरू किया गया है. मनोज पांडेय और शिरीष खरे को पहला सम्मान प्रदान किया गया है. उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध साहित्यकार काशीनाथ सिंह, राजेश जोशी और असगर वजाहत की चयन समिति ने सम्मान के लिए इन लेखकों की कृतियों का चयन किया.
स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास के सचिव और आलोचक पल्लव ने लेखकों का परिचय दिया और न्यास की गतिविधियों की जानकारी दी. कार्यक्रम में कवि हरिओम राजोरिया, कथाकार संजय कबीर, संदीप मील, प्रो. नामदेव, डॉ. नीलम, राजकमल प्रकाशन समूह के आमोद माहेश्वरी, समीक्षक मिहिर पंड्या, रश्मि भटनागर सहित पाठक और पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे.
बता दें कि 20 जनवरी, 1947 को इंदौर में जन्मे स्वयं प्रकाश का निधन कैंसर के कारण 7 दिसम्बर, 2019 को हो गया था. लम्बे समय से वे भोपाल में निवास कर रहे थे और यहां से निकलने वाली पत्रिकाओं ‘वसुधा’ तथा ‘चकमक’ के सम्पादन से भी जुड़े रहे. स्वयं प्रकाश हिंदी कथा साहित्य के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने लगभग ढाई सौ कहानियां लिखीं हैं और उनके पांच उपन्यास प्रकाशित हुए हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 27, 2023, 19:57 IST