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नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ के रायपुर में 26 फरवरी से शुरू होने वाले कांग्रेस के पूर्ण अधिवेशन की टैगलाइन ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ रखा गया है. इस सम्मेलन के जरिये वोटरों के बीच कांग्रेस की खोई लोकप्रियता वापस लाने पर मंथन किया जाएगा, लेकिन इस सम्मेलन का मुख्य मकसद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को कड़ी टक्कर देने के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी एकता सुनिश्चित करना है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हाल ही में कहा था कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से बने माहौल के बाद कांग्रेस रुक नहीं सकती. इसे अब भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करके एक आक्रामक मोर्चा बनाना चाहिए.
नीतीश के इस प्रस्ताव से उत्साहित कांग्रेस ने जोर देकर कहा है कि ‘कोई भी विपक्षी मोर्चा तभी सफल हो सकता है जब कांग्रेस मजबूत हो और मोर्चे का आधार हो.’
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हालांकि इन बयानों के बावजूद यहां साफ दिख रहा है कि विपक्षी दलों के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं है.
हाथ नहीं मिला रहा विपक्ष?
जहां तक प्रमुख विपक्षी दलों का संबंध है, तो यहां हाथ अपनी पकड़ ढीली कर रहा है. कांग्रेस ने हाल के दिनों में पहली बार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर खुलकर हमला बोला. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘टीएमसी के नेता कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई बैठकों में शामिल होते हैं, लेकिन बाद में एक लाइन कहते हैं, जो सत्तारूढ़ भाजपा से मेल खाती है. टीएमसी सहित सारा विपक्ष अडानी मुद्दे पर एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच के लिए सहमत हुए थे, लेकिन बाद में टीएमसी ने अदालत की निगरानी में जांच की बात कही.’
यह शायद पहला मौका है जब कांग्रेस ने टीएमसी पर बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगाया है. कुछ ऐसा ही आरोप आम आदमी पार्टी (आप) पर लगाया जाता रहा है.
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कांग्रेस-टीएमसी संबंध
सोनिया गांधी और ममता बनर्जी के बीच घनिष्ठ संबंध अब अतीत की बात हो गई है. टीएमसी के नंबर-2 नेता अभिषेक बनर्जी कांग्रेस के लिए अपने तिरस्कार के बारे में खुले तौर पर कहते हैं और इस पर अक्षम होने का आरोप लगाते हैं. त्रिपुरा चुनावों के बाद टीएमसी और कांग्रेस के बीच रिश्ते खराब हो गए हैं, जहां कांग्रेस ने टीएमसी के विरोधी वाम दलों के साथ गठजोड़ किया है.
टीएमसी ने यहां कांग्रेस पर बीजेपी विरोधी वोटों को विभाजित करने का आरोप लगाया था, ठीक उसी तरह जैसे कांग्रेस ने गोवा चुनावों में टीएमसी पर आरोप लगाया था.
TMC, आप और केसीआर
2024 करीब आने के साथ ही विपक्षी एकता की चर्चा जैसे-जैसे तेज हो रही है, उसी के साथ एक परेशानी भी बढ़ती दिख रही है. यहां टीएमसी, आप और अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं ने इन दलों को कांग्रेस विरोधी खेमे में ला दिया है, जो भाजपा के खिलाफ एकमात्र राष्ट्रीय विकल्प होने का दावा करती है.
ऐसे में विपक्ष के हाथ की पकड़ मजबूत न होती दिखने से भाजपा को ही मुस्कुराने और फिर विजयी हाथ लहराने का कारण मिलता दिख रहा है.
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Tags: 2024 Loksabha Election, Congress
FIRST PUBLISHED : February 19, 2023, 18:53 IST
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