Thursday, November 21, 2024
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मराठा आरक्षण पर शिंदे सरकार का फैसला, जल्द बुलाया जाएगा विधानसभा का विशेष सत्र


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मराठा आरक्षण बढ़ाने को लेकर महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक 18 फरवरी के बाद सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने जा रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह विशेष सत्र 18 से 25 फरवरी के बीच  बुलाया जा सकता है। इसके बाद विधानसभा का बजट सत्र भी चलना है। महीने के आखिरी में राज्य का बजट पेश होगा।

तय तारीख बताने के लिए महाराष्ट्र सरकार मराठा सर्वे रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। विधानसभा के विशेष सत्र से पहले पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मंगलवार को कैबिनेट के सामने समीक्षा के लिए रखी जाएगी। इसके बाद इस रिपोर्ट को विशेष सत्र में सदन में पेश किया जाएगा। बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा कोटा को लेकर आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे की मांगें मान ली थीं। 

गोखले इंस्टिट्यूट फॉर पॉलिटिक्स ऐंड इकनॉमिक्स ने राज्य के लगभग 2.5 करोड़ परिवारों का सर्वे किया है। अब महाराष्ट्र स्टेट बैकवर्ड क्लास कमीशन इस सर्वे के परिणामों का विश्लेषण कर रहा है और उम्मीद है कि जल्द ही सरकार को रिपोर्ट सौंप देगा। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद विशेष सत्र की तारीख भी तय कर दी जाएगी। बताया जा रहा है कि इस सत्र के दौरान मराठा आरक्षण को लेकर सरकार विधेयक पेश करेगी। पहले भी दो बार सरकार विधानसभा में विधेयक लाकर मराठा कोटा देने का प्रयास कर चुकी है। हालांकि बाद में कोर्ट से रोक लग गई। 

साल 2014 में तत्कालीन अशोक चह्वाण सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी जिसमें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16 प्रतिशत मराठा आरक्षण का प्रवाधान था। यह नारायण राणे कमेटी की सर्वे रिपोर्ट पर आधारित था। कांग्रेस-एनसीपी सरकार में माणे मंत्री थे। बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस आरक्षण पर रोक लगा दी। इसके बाद भाजपा और शिवसेना की सरकार सत्ता में आई। 2018 में देवेंद्र फडणवीस सरकार ने 16  प्रतिशत आरक्षण देने के लिएकानून बनाया। यह एमजी गायकवाड़ कमीशन की रिपोर्ट पर आधारित था। हालांकि 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी और कहा कि मराठा आरक्षण 50 फीसदी सीमा को पार कर रहा है। 

अब गोखले इंस्टिट्यूट के सर्वे पर भी सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इस सर्वे की क्वालिटी अच्छी नहीं है। बता दें कि आरक्षण की मांगों को लेकर सरकार द्वारा अध्यादेश का मसौदा जारी करने के बाद ही मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मुंबई की ओर बढ़ रहे आंदोलनकारी पीछे लौटे थे। मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे की मांग थी कि उन्हें फुलप्रूफ आरक्षण दिया जाए। इसके अलावा मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने वाला सरकारी आदेश  पारित किया जा। आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए। 



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