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Eating Disorder: मर्द खाने के प्रति बेहद लापरवाह होते हैं. यहां तक कि वे सही तरीके से खा नहीं पाते हैं. एक अध्ययन में यह पाया गया है कि 5 में से एक मर्द इटिंग डिसॉर्डर के शिकार हैं जिसकी वजह से कई तरह के मानसिक और शारीरिक परेशानी झेलनी पड़ती है. इस इटिंग डिसॉर्डर के कारण अधिकांश लोग बुलिमिया नर्वोसा, एनोरॉक्सिया जैसी बीमारी से जूझने लगते हैं. इसके साथ ही वे भारी मानसिक दबाव में होते हैं. अगर समय रहते इसे काबू न किया जाए तो गंभीर परेशानी सामने आ सकती है.
क्या है इटिंग डिसॉर्डर
मायो क्लीनिक के मुताबिक इटिंग डिसॉर्डर का मतलब है खाने को लेकर दिमाग में गलत धारणा बना लेना. यानी यह मन में सोच लेना कि इस तरह की चीजें खाने से शरीर पर यह असर होगा, मोटापा बढ़ेगा या घटेगा, शेप खराब हो जाएगा आदि. इस धारणा के कारण कुछ लोग खाने को सीमित कर देते हैं तो कुछ लोग खाना खाते ही नहीं, वहीं कुछ लोग इतना खाते हैं कि कभी थकते ही नहीं. इसमें कई तरह की चीजें दिमाग में आती है.
इटिंग डिसॉर्डर के लक्षण
इसमें सबसे पहले आता है एनोरॉक्सिया की बीमारी. यह जीवन को जोखिम में डालने वाली बीमारी है. इसमें मरीज को लगता है कि उसका वजन बढ़ रहा है जबकि ऐसा होता नहीं. इस कारण वह खाता ही नहीं है. या खाता है तो बहुत कम खाता है. इससे बहुत ज्यादा वजन कम हो जाता है जिसके कारण पोषक तत्वों की भारी कमी हो जाती है. इससे कई तरह की बीमारियां होने लगती है.
बुलीमिया
बुलीमिया भी जीवन को संकट में डालने वाली बीमारी है. बुलीमिया में व्यक्ति बार-बार जरूरत से ज्यादा खाने का अनुभव करता है. उसे लगता है कि उसने बहुत ज्यादा खा लिया. इसके बाद वह अगले कुछ कुछ समय के लिए खाने पर बेहद सख्त नियंत्रण कर लेते हैं या खाते ही नहीं है. इससे बहुत तेज भूख लगती है और वह फिर से बहुत ज्यादा खाना खा लेता है. यानी थोड़े समय में ही बहुत ज्यादा खाना खा लेते है. इस दौरान व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि वह अपने खाने पर कोई नियंत्रण नहीं रख पा रहा है और वह रुक नहीं सकता. खाने के बाद व्यक्ति को अपराधबोध, शर्म या वजन बढ़ने का डर सताता रहता है जिससे मानसिक परेशानियां होती है.
जरूरत से ज्यादा खाना
इसे बिंज इटिंग डिसऑर्डर कहा जाता है. इसमें व्यक्ति एक ही समय में या बहुत कम में अत्यधिक मात्रा में खाना खा लेता है. इस दौरान ऐसा महसूस होता है कि खाने पर कोई नियंत्रण नहीं है. लेकिन अन्य इटिंग डिसऑर्डर जैसे बुलीमिया के विपरीत, इसमें खाने के बाद उल्टी या इसे पचाने की कोई व्यवस्था नहीं करते. इस कारण वह इस एपिसोड को और बढ़ा देता है. कई बार तो भूख नहीं भी लगा रहता है तो वह खाता रहता है.हालांकि ज्यादा खाने के बाद इसमें भी व्यक्ति अपराधबोध, घृणा या शर्म की भावना होती है. वजन बढ़ने का डर सताने लगता है. ये सारी बीमारियां इटिंग डिसॉर्डर के उदाहरण है.
क्या है इससे निपटने का तरीका
इस तरह के मामलों में मनोवैज्ञानिकों से सलाह लेनी चाहिए. पहले तो दिमाग से धारणा हटा देनी चाहिए कि कम खाएंगे तो ऐसा होगा ज्यादा खाएंगे तो ऐसा होगा. एक्सपर्ट कहते हैं कि हमेशा हेल्दी काना और रोज एक्सरसाइज करना इन बीमारियों से निपटने का सबसे बेहतर तरीका है.
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