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बाघम्बरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपित आनंद गिरि, हनुमान मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद और उनके बेटे संदीप तिवारी पर न्यायालय ने शुक्रवार को आरोप तय कर दिए। यह आरोप सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार राय ने आरोपितों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थिति में तय किया। आरोप तय होने के लिए पहली तारीख 21 दिसंबर 2021 नियत की गई थी लेकिन कोई न कोई कारण बताकर आनंद गिरि के अधिवक्ता कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर 38 बार तारीख पर तारीख लेते रहे। शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई जिसमें सीबीआई की ओर से अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद रहे। अभियोजन की ओर से गुलाब चंद अग्रहरि और आरोपित के अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद थे।
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जिला जज संतोष राय ने आनंद गिरि, आद्या प्रसाद और संदीप तिवारी पर आरोप तय कर दिए। कोर्ट ने गवाहों को समन जारी करने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने बाघम्बरी मठ के महंत बलवीर गिरि और सतुआ दास का समन जारी किया गया।मामले की सुनवाई 13 अप्रैल को होगी।
यह है मामला
20 सितंबर 2021 को महंत नरेंद्र गिरि की लाश मठ के कमरे में मिली थी। सुसाइड नोट के आधार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप उनके शिष्य आनंद गिरि, बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी पर लगा था। 22 सितंबर को आनंद गिरि गिरफ्तार किए गए। कोर्ट उन्हें 14 दिनों की न्यायिक अभिरक्षा में दिया था। मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण शासन ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
सीबीआई ने 28 सितंबर से चार अक्टूबर 2021 तक आनंद गिरि को अभिरक्षा में लेकर कई अहम सबूत इकट्ठा किए। सीबीआई ने कोर्ट से आनंद गिरि, आद्या प्रसाद और संदीप तिवारी के पॉलीग्राफ टेस्ट करने की इजाजत मांगी थी लेकिन आरोपितों की सहमति न होने पर अनुमति नहीं मिली। 20 नवंबर को सीबीआई का आरोप पत्र दाखिल होने के बाद मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सेशन कोर्ट को फाइल सुपुर्द कर दी। 19 पेज की चार्जशीट पर सीबीआई ने 152 लोगों के बयान दर्ज किए थे।
जब अदालत ने तय किए आरोप
सेशन जज की कोर्ट में आरोप तय होने के दौरान तीनों आरोपित वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे। कोर्ट ने आरोप पढ़कर सुनाया और कहा कि आप लोगों ने महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या करने के लिए उकसाया। यह कार्य साजिशन किया, परिणामस्वरूप नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या कर ली और उनकी मृत्यु हो गई, जो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 306 सपठित 120 बी के अंतर्गत दंडनीय अपराध है जो कि इस न्यायालय के प्रसंज्ञान में है। जिस पर आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी ने इन आरोपों से इनकार किया। न्यायालय से मांग की कि परीक्षण कराया जाए जिस पर न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को गवाहों को पेश करने का आदेश दिया।