Friday, July 5, 2024
Google search engine
HomeNationalमहाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच क्यों है सीमा विवाद? सर्दियों में ही...

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच क्यों है सीमा विवाद? सर्दियों में ही क्यों भड़कता है मसला


महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच लंबे समय से सीमा विवाद है। दोनों राज्य एक दूसरे के इलाकों पर अपने नियंत्रण की मांग करते आ रहे हैं। वैसे तो यह दशकों पुराना विवाद है लेकिन मौजूदा समय में हालात फिर से बिगड़ने लगे हैं। ट्रकों पर पथराव की घटना के बाद महाराष्ट्र ने कर्नाटक के लिए अपनी बस सेवाओं को फिलहाल रोक दिया है। महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद फिलहाल उच्चतम न्यायालय में लंबित है। महाराष्ट्र लंबे समय से कर्नाटक के बेलगांव (बेलगावी) जिले और कुछ अन्य मराठी भाषी गांवों पर प्रशासनिक नियंत्रण की मांग करता रहा है। इसको लेकर महाराष्ट्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक याचिका में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है। साथ ही कर्नाटक के पांच जिलों के 865 गांवों को महाराष्ट्र में मिलाने की मांग की गई है। फिलहाल तनाव कर्नाटक के बेलगावी जिले में सबसे ज्यादा है। यह जिला महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है। यहां पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।

महाराष्ट्र ने बंद की कर्नाटक के लिए बस सेवा, अब शरद पवार ने दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम

पहले समझिए क्या है ताजा विवाद?

हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने दावा किया कि महाराष्ट्र के सांगली जिले के कुछ गांवों ने कर्नाटक के साथ विलय के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। उन्होंने कहा कि ये गांव पानी के संकट से जूझ रहे हैं। कर्नाटक सीएम के इसी बयान के बाद मामला बिगड़ गया। दोनों भाजपा शासित राज्यों के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया। हालांकि, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बोम्मई के दावों का खंडन करते हुए कहा कि ऐसे किसी भी गांव ने कर्नाटक में विलय की मांग नहीं की है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यह भी कहा था कि महाराष्ट्र का कोई भी गांव कर्नाटक नहीं जाएगा।

फडणवीस ने ट्विटर पर लिखा, “महाराष्ट्र का कोई भी गांव कर्नाटक नहीं जाएगा! राज्य सरकार बेलगावी-करवार-निपानी सहित मराठी भाषी गांवों को पाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में मजबूती से लड़ेगी।” इन टिप्पणियों का जवाब देते हुए सीएम बोम्मई ने ट्विटर पर लिखा, “महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कर्नाटक महाराष्ट्र सीमा मुद्दे पर भड़काऊ बयान दिया है और उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा। हमारी सरकार देश की जमीन, पानी और सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।”

कर्नाटक में अब महाराष्ट्र के नंबर वाले ट्रकों पर अटैक, मंत्रियों ने रद्द किया दौरा; बढ़ता जा रहा विवाद

क्या है महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद?

गौरतलब है कि भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद सीमा विवाद 1960 के दशक से चल रहा है। महाराष्ट्र तत्कालीन ‘बॉम्बे प्रेसीडेंसी’ का हिस्सा रहे बेलगावी पर दावा करता है क्योंकि यहां मराठी भाषा बोलने वालों की अच्छी खासी आबादी है। महाराष्ट्र ने करीब 80 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया है जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं। दूसरी ओर, कर्नाटक ने महाराष्ट्र सीमा से सटे 260 कन्नड़ भाषी गांवों पर अपना अधिकार जताया था। इस विवाद को प्रमुख रूप से बेलगावी या बेलगाम विवाद के रूप में जाना जाता है। महाराष्ट्र 80 अन्य मराठी भाषी गांवों के साथ बेलगावी जिले पर वापस दावा करना चाहता है, जो वर्तमान में कर्नाटक के नियंत्रण में हैं।

कब शुरू हुआ विवाद?

1956 में संसद द्वारा राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया था। इसके बाद से ही महाराष्ट्र और कर्नाटक में राज्य की सीमा से लगे कुछ कस्बों और गांवों को शामिल करने पर विवाद हो गया। यह अधिनियम 1953 में नियुक्त जस्टिस फजल अली आयोग के निष्कर्षों पर आधारित था। 1 नवंबर, 1956 को, मैसूर राज्य (जिसे बाद में कर्नाटक नाम दिया गया) का गठन किया गया। इसके तुरंत बाद पड़ोसी बॉम्बे राज्य (बाद में महाराष्ट्र) के बीच मतभेद उभर आए। महाराष्ट्र का विचार था कि कर्नाटक के उत्तर-पश्चिमी जिले, बेलगावी को उसका हिस्सा होना चाहिए। इस विवाद के चलते करीब एक दशक तक हिंसक आंदोलन हुए और महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) का गठन हुआ। इस समिति का अभी भी जिले के कुछ हिस्सों में बोलबाला है।

विवाद पर क्या था केंद्र सरकार का रुख?

महाराष्ट्र के विरोध और दबाव के बीच, केंद्र सरकार ने 25 अक्टूबर, 1966 को सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मेहरचंद महाजन के तहत एक आयोग का गठन किया। एस निजलिंगप्पा तब कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे और वीपी नायक उनके महाराष्ट्र समकक्ष थे। उम्मीद थी कि रिपोर्ट दोनों राज्यों के लिए एक बाध्यकारी दस्तावेज होगी और विवाद को समाप्त कर देगी। 

आयोग ने अगस्त 1967 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जहां उसने कर्नाटक के 264 शहरों और गांवों (निप्पनी, नंदगढ़ और खानापुर सहित) को महाराष्ट्र में और महाराष्ट्र के 247 गांवों (दक्षिण सोलापुर और अक्कलकोट सहित) को कर्नाटक में मिलाने की सिफारिश की।

हालांकि रिपोर्ट 1970 में संसद में पेश की गई थी, लेकिन इसे चर्चा के लिए आगे नहीं बढ़ाया गया था। सिफारिशों के कार्यान्वयन के बिना, मराठी भाषी क्षेत्रों को महाराष्ट्र और कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को कर्नाटक का हिस्सा बनाने की मांग बढ़ती रही। महाराष्ट्र एकीकरण समिति ने इसे बेलगावी के कई हिस्सों में चुनावी मुद्दा बनाया और जिले के निर्वाचन क्षेत्रों से लगातार चुनाव जीते।

हर साल सर्दियों में ही क्यों उभरता है विवाद?

2007 में, कर्नाटक ने इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए बेलगावी में सुवर्ण विधान सौधा (विधान सभा) का निर्माण शुरू किया। भवन का उद्घाटन 2012 में किया गया था, और शीतकालीन विधायिका सत्र यहां सालाना आयोजित किए जाते हैं। जब भी कर्नाटक विधानसभा का सत्र बेलगावी में आयोजित होता है, सीमा संबंधी विवाद उभर कर सामने आ जाता है। 

2021 में, बेलगावी विधानसभा सत्र के दौरान, शहर में जमकर उत्पात हुआ था। बेलगावी को महाराष्ट्र में विलय करने की मांग को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित करने पर कन्नड़ कार्यकर्ताओं ने एक एमईएस कार्यकर्ता के चेहरे पर कालिख पोत दी। कुछ दिनों बाद, बेलगावी शहर में स्वतंत्रता सेनानी और कन्नड़ आइकन सांगोली रायन्ना की प्रतिमा को तोड़ दिया गया। 

महाराष्ट्र सरकार की घोषणा से और बढ़ सकता है विवाद

इस साल भी, इस बात की आशंका है कि सत्र के दौरान कन्नड़ और मराठा समूह सीमा मुद्दे पर हथियार उठाएंगे। महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों का बेलगावी जाने का कार्यक्रम है। हालांकि इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। कर्नाटक के साथ राज्य के सीमा विवाद के समन्वय के लिए नियुक्त महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई के मंगलवार को बेलगावी जाने की संभावना नहीं है क्योंकि दोनों की दिन में महाराष्ट्र में कई बैठक निर्धारित हैं।

कर्नाटक में भड़क सकते हैं दंगे, महाराष्ट्र के मंत्रियों के आने पर विवाद की आशंका

दोनों मंत्रियों को पहले मंगलवार को कर्नाटक के बेलगावी में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कार्यकर्ताओं से मिलने और दशकों पुराने सीमा मुद्दे पर उनके साथ बातचीत करने का कार्यक्रम था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को कहा था कि वह अपने महाराष्ट्र के समकक्ष एकनाथ शिंदे से उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों को बेलगावी नहीं भेजने के लिए कहेंगे, क्योंकि उनकी यात्रा से सीमावर्ती जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक के साथ राज्य के सीमा विवाद के समन्वय के लिए नियुक्त मंत्रियों को विवादित क्षेत्रों का दौरा करना चाहिए या नहीं, इस पर मुख्यमंत्री शिंदे अंतिम निर्णय लेंगे।



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments