How Cervical Cancer Affects Fertility: भारतीय महिलाओं में कैंसर (Cancer) से होने वाली मौत में सबसे पहला नाम सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) का आता है। यह एक ऐसा कैंसर है जिससे बचाव और इलाज दोनों संभव हैं। लेकिन दुख की बात यह है कि इस रोग के प्रति महिलाओं में जागरुकता की कमी की वजह से उन्हें सही समय पर इसके बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है और डॉक्टर्स के लिए रोगी की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। डॉ. (प्रो.) विनिता दास (कंसल्टेंट एवं एडवाइजर, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ) के अनुसार यह कैंसर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी असर डालता है। जिसकी वजह से उन्हें प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर पाना मुश्किल हो जाता है। सर्वाइकल कैंसर होने के बाद इन्फर्टिलिटी होना निश्चित है, लेकिन मेडिकल टेक्नॉलॉजी के विकास, जैसे कैंसर फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन द्वारा महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ते हुए भी गर्भधारण करना संभव हो गया है।
क्या है सर्वाइकल कैंसर?
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सर्विक्स की कोशिकाओं को इफेक्ट करता है। सर्विक्स यूट्रस के निचले भाग का हिस्सा है जो वेजाइना से जुड़ा होता है। सर्वाइकल कैंसर इस हिस्से की कोशिकाओं को इफेक्ट करता है। सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के अलग-अलग तरह के एचपीवी स्ट्रेन्स के कारण होते हैं। एचपीवी एक बहुत ही आम यौन रोग है जो जननांग में मस्से के रूप में दिखता है। धीरे धीरे ये सर्वाइकल कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में बदल देते हैं। इसके आम लक्षणों में योनिस्राव, यौन संसर्ग के बाद या फिर माहवारी के बीच की अवधि में भी रक्तस्राव, और पेल्विस में दर्द शामिल है। सर्वाइकल कैंसर के लिए एडवांस्ड स्टेज में विस्तृत इलाज की जरूरत होती है, जिससे प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है।
फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन क्या है?
फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन की प्रक्रिया में कैंसर का इलाज शुरू करने से पहले फर्टाइल अंडों, ओवेरियन टिश्यू, या स्पर्म को संरक्षित कर लिया जाता है। इसे चिकित्सा की भाषा में ऑन्को फर्टिलिटी कहा जाता है। इस प्रकिया के द्वारा मरीज कैंसर से ठीक होने के बाद फिर से गर्भधारण करने में समर्थ हो जाती है। ऑन्को फर्टिलिटी की प्रक्रिया में अंडों, स्पर्म, ओवेरियन या टेस्टिकुलर टिश्यू को संरक्षित किया जाता है ताकि कैंसर मरीज भविष्य में संतान प्राप्ति के लिए उनका इस्तेमाल कर सके। कैंसर से ठीक होने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन का महत्व बढ़ता जा रहा है। हालांकि आज भी कई मरीजों को फर्टिलिटी का संरक्षण करने के विकल्पों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती क्योंकि उनका सारा ध्यान कैंसर के निदान और इलाज पर केंद्रित होता है।
कैंसर के इलाज के दौरान फर्टिलिटी पर पड़ता है क्या असर-
हालांकि यह बात काफी हद तक सही है कि सर्वाइकल कैंसर के इलाज के दौरान अपनाए गए कुछ तरीकों की वजह से रोगी के गर्भधारण करने की संभावनाएं कम भी हो सकती हैं। ऐसा ज्यादातर मामलों में तब होता है जब रोगी की बीमारी का पता शुरुआत में न चल पाया हो, ऐसे में रेडिकल हिस्टेरेक्टॉमी करके महिला के गर्भ को हटाना पड़ सकता है। इस स्थिति में मरीज भविष्य में गर्भधारण नहीं कर सकती। यदि ओवरीज को निकाल दिया जाता है, तो भी मरीज द्वारा गर्भधारण करना संभव नहीं होता क्योंकि इस स्थिति में अंडे नहीं बन पाते हैं।
इसके अलावा यदि इलाज रेडिएशन थेरेपी द्वारा किया जाता है, तो ओवरीज पर उच्च ऊर्जा की किरणें पड़ती हैं, जो उन्हें क्षति पहुंचा सकती हैं। इस स्थिति में भी इन्फर्टिलिटी हो जाती है क्योंकि ये किरणें अंडों को नष्ट कर देती हैं, और मेनोपॉज जल्दी हो जाता है। आपको बता दें, जो महिलाएं रेडिएशन थेरेपी करवाती हैं, उनके गर्भाशय के रेडिएशन के संपर्क में रहने के कारण गर्भपात या समयपूर्व प्रसव की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
कैंसर रोगी अपना फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन कैसे करवाते हैं?
अंडों की फ्रीजिंग: इस प्रक्रिया को ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन भी कहा जाता है। इसमें गोनैडोट्रॉपिंस नामक दवा देकर ओवरीज को उत्प्रेरित किया जाता है और ओवम पिक-अप प्रक्रिया की जाती है। इसके बाद आईवीएफ प्रक्रिया करके महिलाओं के अंडों को हार्वेस्ट किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त हुए ओसाइट और अंडों को फ्रीज करके रख दिया जाता है। प्रजनन काल की महिलाओं में प्रजनन क्षमता का संरक्षण करने के लिए इन अंडों को स्टोर कर लिया जाता है।
एम्ब्रयो फ्रीजिंग: इस प्रक्रिया में आईवीएफ चक्र का उपयोग होता है, जिसमें महिला के हार्वेस्ट अंडों को पुरुष के स्पर्म से फर्टिलाइज किया जाता है, और इस प्रकार बने एम्ब्रयो को क्रायोप्रिजर्व कर दिया जाता है।
ओवेरियन कॉर्टेक्स फ्रीजिंग: ओवेरियन कॉर्टेक्स फ्रीजिंग फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन का एक प्रयोगात्मक और संभावनापूर्ण रूप है, जिसमें ओवरीज के कॉर्टेक्स भाग का क्रायोप्रिजर्वेशन किया जाता है, जिसमें अंडा होता है। कैंसर की युवा मरीजों में फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन के लिए इसका उपयोग काफी किया जा रहा है, जब अंडे या एम्ब्रयो फ्रीजिंग का विकल्प व्यवहारिक नहीं होता है।
सर्वाइकल कैंसर के साथ इन्फर्टिलिटी पति और पत्नी दोनों के लिए भावनात्मक रूप से बहुत मुश्किल दौर होता है। लेकिन आज कई अलग-अलग शोध और अध्ययनों ने सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित महिलाओं को गर्भधारण करने के कई विकल्प देकर उनके मन में उम्मीद की किरण जगा दी है। ऐसे में रोगी को उम्मीद खोने से पहले अपने डॉक्टर और फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए, जो इलाज के विकल्पों और गर्भधारण की संभावनाओं के बारे में आपको उचित सलाह देगा।