Saturday, December 14, 2024
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महुआ: देश की वो पारंपरिक शराब, जिसको बनाया जाता है फूलों से, आदिवासी संस्कृति का अहम हिस्सा


हाइलाइट्स

महुआ कई कारणों से आदिवासी संस्कृति का एक अहम हिस्सा है.
महुआ मध्य भारत के राज्यों जैसे एमपी और छत्तीसगढ़ में काफी लोकप्रिय है.
मध्य प्रदेश सरकार ने इसे अपने राज्य में हेरिटेज लीकर का दर्जा दिया हुआ है.

अगर कोई आपसे पूछे कि भारत की हेरिटेज लीकर कौन सी है, तो आप संभवत: काजू फेनी या ताड़ी का नाम लेंगे. लेकिन आपका अनुमान गलत है. वो नाम महुआ (Mahua) है, जिसे मध्य भारत में देसी शराब का एक लोकप्रिय ब्रांड माना जाता है. महुआ फूलों से बनी डिस्टिल्ड ड्रिंक है, जो मध्य भारत, खासकर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों द्वारा सदियों से बनाई जा रही है. महुआ से स्पिरिट उसके धूप में सुखाए गए रसयुक्त फूलों से बनाई जाती है. यह संभवत: मीठे फूलों से बनी एकमात्र डिस्टिल्ड ड्रिंक है. 

मध्य भारत में, महुआ के फूल सभी इच्छाओं और उनको पूरा करने का वादा करते हैं. इसके फूलों का व्यापक रूप से डिस्टिल्ड शराब के पारंपरिक स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है. भारत के आदिवासी हृदयस्थल के लिए, यह पेड़ पवित्र माना जाता है और विशाल बगीचों में उगाया जाता है. अधिकांश आदिवासी व्यक्तिगत पेड़ों का स्वामित्व लेते हैं. वे इसे साफ-सुथरा और झाड़ियों, लताओं से मुक्त रखते हैं. महुआ के फूल कभी कोई नहीं तोड़ता. वे इसके पेड़ पर पकने और अपने आप गिरने का इंतजार करते हैं. उसके बाद ही उसका संग्रह किया जाता है. महुआ मध्य भारत में आदिवासियों के उत्सवों और अनुष्ठानों से जुड़ा हुआ है. इसलिए उनकी परंपराओं और प्रथाओं की तरह इस पेड़ को संरक्षित और पोषित किया जाता है.

औषधि भी है महुआ
जहां तक महुआ से शराब बनाने की बात है तो स्थानीय आदिवासी इसकी श्रम साध्य प्रक्रिया में शामिल होते हैं. महुआ को औषधि के महत्व के लिए भी जाना जाता है. आदिवासी इसे आम तौर पर छोटे पैमाने पर अपने घर के पिछवाड़े में बनाते रहे हैं. वे महुआ के फूलों को पहले 7-8 दिनों तक धूप में सुखाते हैं और फर्मेटेशन के लिए पानी के बर्तन में डाल देते हैं. उसके बाद रंगहीन डिस्टिल्ड लिक्विड बनकर निकलता है. फिर इसकी गुणवत्ता की जांच की जाती है.

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आदिवासी संस्कृति का हिस्सा
महुआ कई कारणों से आदिवासी संस्कृति का एक अहम हिस्सा है. यह मध्य भारत के वन क्षेत्र के अत्यधिक ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए आय के आवश्यक स्रोतों में से एक है. इसका उपयोग जंगल में रहने वाले आदिवासी समुदायों द्वारा जैम से लेकर सिरप और औषधीय अर्क तक विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है, जिससे काफी अच्छी आय होती है.

इसमें अल्कोहल की मात्रा 17 से 22 प्रतिशत तक होती है.

कम अल्कोहल वाला पेय
महुआ मध्य भारत के राज्यों जैसे एमपी और छत्तीसगढ़ में सबसे लोकप्रिय है. यह एक अनोखा, किफायती, हल्का अल्कोहलिक और तीखी गंध वाला गुणकारी पेय है. इसमें अल्कोहल की मात्रा 17 से 22 प्रतिशत तक होती है. मध्य प्रदेश सरकार ने इसे राज्य में हेरिटेज लीकर का दर्जा दिया हुआ है. 

Tags: Alcohol, Chhattisgarh news, Liquor, Madhya pradesh news, Tribal Culture, Wine



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