Tuesday, April 29, 2025
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माँ बनते ही इन 1000 दिनों को मत करना नजरअंदाज, वरना पछताना पड़ेगा!


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Pregnancy Tips:आंगनबाड़ी अधिकारी सिरीशा के अनुसार बच्चे के पहले 1000 दिन माँ और शिशु दोनों के लिए बेहद अहम होते हैं. सही पोषण, नियमित जांच और स्तनपान से बच्चे का भविष्य मजबूत बनता है.

गर्भावस्था में पोषण

आंगनबाड़ी अधिकारी सीडीपीओ सिरीशा का मानना है कि किसी भी बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिन उसके भविष्य की नींव रखते हैं. इन 1000 दिनों की शुरुआत माँ के गर्भवती होने के समय से होती है. गर्भधारण से लेकर प्रसव तक करीब 270 दिन होते हैं, फिर जन्म के बाद का पहला साल 365 दिन का होता है और दूसरा साल भी 365 दिन का. इस तरह कुल 1000 दिन का समय माँ और बच्चे दोनों के लिए बेहद खास होता है.

गर्भावस्था के समय पोषण है सबसे जरूरी
सिरीशा कहती हैं कि गर्भवती महिला को शुरू से ही सही और पौष्टिक आहार लेना चाहिए. इसी से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास सही ढंग से होता है. अगर माँ को पूरा पोषण मिलेगा तो बच्चा भी सेहतमंद पैदा होगा. यह समय बच्चे की ज़िंदगी की मजबूत शुरुआत होता है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.

आंगनबाड़ी केंद्र में तुरंत पंजीकरण कराएं
हर महिला को जैसे ही पता चले कि वह गर्भवती है, उसे तुरंत अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र में जाकर पंजीकरण कराना चाहिए. इसके बाद उसे नियमित रूप से वहाँ से मिलने वाला पौष्टिक भोजन लेना चाहिए. आंगनबाड़ी केंद्रों में महिलाओं को खासतौर पर गर्भावस्था के समय दिए जाने वाले पोषण की पूरी व्यवस्था की जाती है.

टीटी इंजेक्शन और नियमित जांच बहुत जरूरी
सिरीशा बताती हैं कि हर गर्भवती महिला का वजन 10 से 12 किलो तक बढ़ना चाहिए. इसके साथ ही उन्हें समय पर दो टीटी इंजेक्शन लगवाने चाहिए ताकि संक्रमण से बचाव हो सके. हर महीने एक बार स्वास्थ्य जांच जरूर करवानी चाहिए ताकि माँ और बच्चे की सेहत पर नजर रखी जा सके.

अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराना है जरूरी
अधिकारी सिरीशा का कहना है कि हर महिला को प्रसव के लिए अस्पताल ही जाना चाहिए. इससे जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहते हैं. बच्चा पैदा होने के एक घंटे के अंदर ही उसे माँ का दूध पिलाना चाहिए क्योंकि यह बच्चे की रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है.

छह महीने तक केवल माँ का दूध
सिरीशा बताती हैं कि शिशु को जन्म के बाद छह महीने तक सिर्फ स्तनपान ही कराना चाहिए. इसके अलावा किसी भी तरह का बाहरी भोजन नहीं देना चाहिए. छह महीने बाद से बच्चे को अतिरिक्त पौष्टिक आहार भी देना शुरू करना चाहिए, लेकिन स्तनपान दो साल तक जारी रखना चाहिए.

गलत धारणाएं छोड़ें, सही जानकारी अपनाएं
अधिकारी सिरीशा ने यह भी कहा कि कई लोगों के मन में गर्भावस्था, स्तनपान और आंगनबाड़ी सेवाओं को लेकर गलत धारणाएं होती हैं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. समय पर जानकारी लेना, सलाह मानना और सेवाओं का लाभ उठाना ही माँ और बच्चे के स्वस्थ जीवन की कुंजी है.

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