Pariksha Pe Charcha 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है। जिसमें छत्तीसगढ़ से अदिति दीवान ने पीएम मोदी से कहा, ‘मेरा सवाल ये है कि मैं इस बात को लेकर चितिंत रहती हूं, मुझे बहुत करना है, लेकिन अंतिम तक मैं कुछ भी नहीं कर पाती हूं, क्योंकि मेरे पास बहुत सारे कार्य होते हैं। यदि मैं अपना कोई कार्य समय पर पूरा कर भी लूं तो ओर ज्यादा परेशान हो जाती हूं, क्योंकि अन्य कार्यों को करने में या तो काफी देर लगाती हूं या तो उन्हें आगे लिए टाल देती हूं। मैं ये जानना चाहती हूं, मैं अपने सारे काम सही समय पर कैसे पूरे करूं?
इसी के साथ पीएम मोदी ने छात्रों से कहा, ‘सिर्फ परीक्षा के लिए नहीं, बल्कि जीवन में टाइम मैनेजमेंट के प्रति हमें जागरूक रहना चाहिए। काम करने से संतोष मिलता है, समय पर काम न करने से देरी होती है, जीवन में समय का प्रबंधन करना बेहद जरूरी है। अपनी समय का विश्लेषण करें। आराम से अपने काम को बांटे। किस विषय को कितना टाइम देना है, उसको वर्गीकृत करें। इससे लाभ होगा’
मोदी ने कहा, अक्सर छात्र अपनी पसंद की चीजों पर समय ज्यादा समय लगाते हैं, उसी में खोए रहते हैं, फिर तीन विषय ऐसे हैं, जो कम पसंद है, लेकिन जरूरी है वो फिर आपको बोझ लगने लगते हैं। फिर आप सोचते हैं, मैंने दो दो घंटे मेहनत की, लेकिन ये तो हुआ नहीं। ऐसे में अपनी तैयारी की शुरुआत उस विषय से करें जो कम पसंद है और कठिन है।
मोदी ने पतंग के मांझे का उदाहरण देते हुए कहा- पतंग का मांझा एक दूसरे में उलझ कर एक बड़ा गुच्छा बन जाता है। बुद्धिमान इंसान उस गुच्छे को सुलझाने के लिए ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगा,बल्कि बड़े प्यार से उसे धीरे- धीरे खोलेगा। हमें भी पढ़ाई के दौरान जोर जबरदस्ती नहीं करनी है, आराम से हल निकालना है।
मां के काम करें ऑब्जर्व, सीखेंगे टाइम मैनेजमेंट
मोदी ने कहा, आपने कभी अपने घर में अपनी मां के काम को ऑब्जर्व किया है क्या? यूं तो आपको अच्छा लगता है, जैसे ही स्कूल से आए मां ने सब तैयार करके रखा था। सुबह स्कूल जाना था, तो मां ने सब तैयार करके रख दिया था। ये सब देखकर लगता तो बहुत अच्छा है, लेकिन क्या कभी ऑब्जर्व किया है कि मां का टाइम मैनेजमेंट कितना बढ़िया है। उन्हें पता होता है कि बच्चें की जरूरत के हिसाब से कब और कैसे टाइम मैनेज करना है। मां सारा दिन काम करती रहती हैं, उन्हें किसी काम में बोझ नहीं लगता है, क्योंकि उन्हें मालूम है, इतने घंटे में ये- ये काम करना है। वहीं जब एक्स्ट्रा टाइम मिलता है तो वह खाली नहीं बैठती, कुछ न कुछ अपना क्रिएटिव एक्टिविटी करती रहती है। सूई धागा लेकर बैठ जाएंगी या फिर खुद को रिलेक्स करने के लिए कुछ ओर काम करेंगी।
मोदी ने कहा, अगर मां की गतिविधियों की ढंग से ऑब्जर्व करोगे, तो भी आपको एक स्टूडेंट के तौर पर, टाइम मैनेजमेंट का महत्व क्या होता है ये पता चल जाएगा।