Friday, July 5, 2024
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मां बनने के लिए महिला को पुरुष के साथ की जरूरत नहीं, विज्ञान ने क्‍यों कहा ऐसा


आमतौर पर बच्‍चे को जन्‍म देने के लिए महिला और पुरुष का संपर्क में आना जरूरी है. लेकिन, विज्ञान कहता है कि अब महिलाओं को गर्भधारण के लिए पुरुषों के साथ की जरूरत बिलकुल नहीं है. आसान भाषा में कहें तो कोई भी महिला बिना किसी पुरुष के संपर्क में आए भी आसानी से अपने बच्‍चे की मां बन सकती है. विज्ञान की इसी तरक्‍की का नतीजा है कि आजकल अकेली मां, समलैंगिक जोड़ों के बच्‍चों की खबरें काफी सुनने को मिलती हैं. मेडिकल साइंस में 5 ऐसे प्रचलित तरीके हैं, जिनके जरिये बिना पुरुष के संपर्क में आए कोई महिला बच्‍चे को जन्‍म दे सकती है. डॉक्‍टर्स का कहना है कि इन तरीकों को अपनाकर होने वाले बच्‍चे पूरी तरह स्‍वस्‍थ होते हैं.

डॉक्‍टर्स बताते हैं कि कुछ मामलों में महिला बच्चे को गर्भ में रखने के लिए पर्याप्त स्वस्थ होती है, लेकिन उसके एग्‍स का फर्टिलाइज होना एक समस्या होती है. ऐसे में आईवीएफ यानी इनविट्रो फर्टिलाइजेंशन उपचार बड़ी भूमिका निभाता है. आईवीएफ देशभर के कई इनफर्टिलिटी क्लीनिकों में उपलब्ध है. इस तकनीक में महिला के एग्‍स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दवा दी जाती है. फिर एग्‍स को बाहर निकाल लिया जाता है. फिर उसे ऐसी परिस्थितियों में रखा जाता है, जहां उसे महिला की पसंद के स्‍पर्म्‍स के साथ फर्टिलाइज किया जाता है. फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रूण बनने पर एक कैथेटर का इस्‍तेमाल करके यूट्रस गर्भाशय को खोलकर भ्रूण अंदर डाल दिया जाता है.

टर्की बस्टर तकनीक कैसे करती है मदद
टर्की बस्‍टर तकनीक के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. ये एक जल्द और आसान तरीका माना जाता हे. इस तकनीक का इस्‍तेमाल ज्यादातर समलैंगिक कपल करते हैं. इसकी तुलना आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से की जाती है. इसके स्टेप्स बहुत ही आसान हैं. स्‍पर्म को किसी जान पहचान वाले व्यक्ति या स्पर्म बैंक से हासिल किया जाता है. फिर स्पर्म को इकट्ठा करने के लिए इनसेमिनेशन सिरिंज का इस्‍तेमाल किया जाता है. इसके बाद महिला के प्राइवेट पार्ट में की डाला जाता है. फिर स्‍पर्म्‍स को अंदर ही अंदर गर्भाधान करने दिया जाता है. इस प्रक्रिया में दर्द बिलकुल नहीं होता है.

आईवीएफ तकनीक से बच्‍चों को जन्‍म देना अब काफी आम हो रहा है.

इनसेमिनेशन इन यूट्रस तकनीक क्‍या है
इनसेमिनेशन इन यूट्रस तकनीक काफी एडवांस है. इसे आईयूआई कहा जाता है, जो टर्की बस्टर तकनीक और आईवीएफ का मिला-जुला रूप है. यह आमतौर पर पुरुष पार्टनर का फट्रिलिटी लेवल कम होने पर कपल्‍स चुनते हैं. साथ ही बच्‍चे को जन्‍म देने की इच्‍छा रखने वालीं अकेली स्‍वस्‍थ महिलाएं भी इस तकनीक का इस्‍तेमाल करती हैं. इसमें ओवुलेशन के दौरान एग्‍स यूट्रस में पहुंचता है. फिर स्‍पर्म्‍स से फर्टिलाइजेशन की प्रतीक्षा करता है. आईयूआई में महिला किसी डोनर या बैंक से स्पर्म का इंतजाम करती है. फिर एक मेडिकल प्रोफेशनल स्‍पर्म को यूट्रस में एक कैथेटर की मदद से एग्‍स के करीब डालता है. हालांकि, इस प्रक्रिया को सफल होने तक इस पूरे चक्र को दोहराना पड़ता है.

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स्प्लैश प्रेग्‍नेंसी में कैसे होती है प्रेग्‍नेंसी
कुछ पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन और महिलाओं में वेजिनीस्मस जैसी समस्या होती है. इससे दोनों को साथ आने में काफी दिक्‍कत होती है. बावजूद इसके महिला आसानी से प्रेग्‍नेंट हो सकती है. मेडिकल साइंस कहता है कि स्‍पर्म के मामूली संपर्क से भी महिला प्रेग्‍नेंट हो सकती है. स्‍प्‍लैश प्रेग्‍नेंसी तकनीक में महिला के पार्टनर से उसके प्राइवेट पार्ट के करीब इजैक्युलेशन कराया जाता है. इस तरीके से सफलता मिलने की कोई गारंटी नहीं होती है.

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टर्की बस्‍टर और इनसेमिनेशन इन यूट्रस तकनीक में भी महिला को मां बनने के लिए पुरुष के साथ की दरकार नहीं होती है.

सरोगेट बेबी में संपर्क की जरूरत नहीं
कपल में किसी एक या दोनों के इंफर्टाइल होने या महिला का यूट्रस बच्‍चे को रखने लायक मजबूत नहीं होने पर सरोगेसी का सहारा लिया जाता है. इसमें कपल अपना बच्‍चा पा सकते हैं. इस तकनीक में पुरुष के स्‍पर्म और महिला के एग्‍स को लैब में मिक्स किया जाता है ताकि फर्टिलाइजेशन व भ्रूण बनने की प्रक्रिया शुरू हो सके. इस भ्रूण को आपके पसंद की सरोगेट मदर के यूट्रस में रखा जाता है, जो प्रेग्‍नेंसी की पूरी अवधि तक बच्चे को रखेगी. फिर जन्म के बाद उसे उसके असली माता-पिता को सौंप देगी.

Tags: Health News, IVF, Latest Medical news, Pregnant woman



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