सोनाली भाटी/जालोर: मंजिल अगर चुन लो तो, सफर मुश्किल नहीं होता, इस बात को चरितार्थ किया है जालोर जिले के आहोर कस्बे की ललिता देवी जो खुद ग्रामीण परिवेश में रहकर खुद का ही नहीं गांव की और भी महिलाओं को रोजगार दिला कर रही है. जी हां महिला दिवस के इस अवसर पर आज हम जानेंगे एक ऐसी महिला के बारे में, जो ग्रामीण परिवेश में रहते हुए दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल बन रही है.
आहोर स्थित दीदी का कैंटीन चलाने वाली ललिता देवी 1 साल से कैन्टींग को चला रही है और अपने स्वाद के जायके से बहुत ही चर्चित भी है, सुबह शाम अलग-अलग प्रकार के खाने के व्यंजन और मात्र 80 रूपए में भरपेट खाना खिलाती है और अपने गांव की महिलाओं को भी रोजगार दे रही है. महिलाओं से घरों में ही अचार, पापड़, खींचीया, रबोड़ी आदि बनवाती है और स्वयं उनको बेचकर महिलाओं को उनका मुनाफा देती है. इस तरह से वह अपने गांव की महिलाओं की सहायता करती है.
जीविका से जुड़ने से पहले की स्थिति
ललिता बताती है कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं थी, वही संसाधनों की कमी से आर्थिक जीवन बहुत ही कठिनाइयों से गुजर रहा था, ग्रामीण परिवेश में होने की वजह से बहुत से रीति रिवाज, सामाजिक कुरीतियो के बंधनो के बोझ के नीचे दबा रहना पड़ता था. जिसके चलते वह अपनी प्रतिभा को नहीं पहचान पा रही थी, और ना ही उन्हें किसी तरह की सरकारी योजना और समूह के बारे में पता था.
इस दौरान उनके गांव में राजीविका द्वारा भेजी गई सी.आ.पी. टीम का आना हुआ और उन्हें स्वयं सहायता समूह से जुड़ी जानकारी प्रदान की साथ ही राजीवीका द्वारा अचार पापड़ की ट्रेनिंग दी गई. फिर उन्हें मेले भेजा गया जिससे उन्हें काफी मुनाफा हुआ जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया और आज उन्होंने अपना एक दीदी की कैंटीन खोलकर उसे चला रही है. कैंटीन में उपस्थित ग्राहकों से बातचीत पर पता चला कि उनके खाने का स्वाद बहुत ही स्वादिष्ट है और रहा चलते पर्यटक वहां जाकर पेट भरकर खाना खाते हैं.
.
FIRST PUBLISHED : March 10, 2024, 13:43 IST