Home National मिलती जुलती है अतीक और जीवा के हत्यारों की कहानी, कैसे निशाना बन रहे UP के गैंगस्टर

मिलती जुलती है अतीक और जीवा के हत्यारों की कहानी, कैसे निशाना बन रहे UP के गैंगस्टर

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मिलती जुलती है अतीक और जीवा के हत्यारों की कहानी, कैसे निशाना बन रहे UP के गैंगस्टर

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Sanjeev Jeeva Murder: उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर अतीक अहमद और खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या की चर्चाएं खत्म नहीं हुई थीं कि संजीव माहेश्वरी जीवा का कत्ल सुर्खियों में आ गया। दोनों ही मामलों में वारदात को अंजाम देने का तरीका भी लगभग एक जैसा रहा है। एक तरफ अतीक और उसके भाई को हमलावरों ने पत्रकार बनकर निशाना बनाया। वहीं, जीवा वकील के भेष में आए हत्यारे का शिकार बना। अब खास बात है कि इस मामले में हत्या के तरीके नहीं, बल्कि हत्यारों की कहानी भी आपस में कुछ कुछ मेल खाती है।

हत्या का मकसद

जांच जारी है और अब तक पुलिस अतीक और अशरफ की हत्या के पीछे की वजह नहीं खोज सकी है। मौके से गिरफ्तार हुए लवलेश, अरुण और सनी इस वारदात की वजह ‘मशहूर’ होना बता रहे हैं। जीवा के मामले में भी यही कहानी है कि पुलिस को गोली मारने वाले और गैंगस्टर के बीच तार नहीं मिले। दरअसल, जीवा जेल में बंद गैंगस्टर मुख्तार अंसारी का खास शूटर था। 

अतीक के हमलावरों की तरह परिवार से दूर

लखनऊ कोर्ट परिसर में जीवा को मारने वाले विजय यादव जौनपुर का रहने वाला है और वह कुछ समय मुंबई में भी रहा है। पुलिस को पता चला है कि बीते एक महीने से वह अपने परिवार के संपर्क में नहीं था। ऐसी कहानी अतीक की हत्या करने वाले तीनों युवकों की थी। वो तीनों भी अपने परिवार से दूर थे। यादव ने जीवा को .357 बोर मैग्नम अल्फा पिस्टल से निशाना बनाया और सभी 6 गोलियां दाग दी।

कौन था संजीव माहेश्वरी

मुख्तार अंसारी का शूटर जीवा यूपी के शीर्ष 15 गैंगस्टर्स की लिस्ट में शामिल था। हाल में उसे भारतीय जनता पार्टी नेता बृह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का दोषी पाया गया था। उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, जबरन वसूली जैसे दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज थे। उसे लखनऊ जेल के हाई सिक्युरिटी बैरक में रखा गया था। खास बात है कि मुख्तार के ही एक और करीबी माने जाने वाले मुन्ना बजरंगी की बगपत जेल में 2018 में हत्या कर दी गई थी।

कोर्ट तक कैसे पहुंच गया हमलावर

जीवा की हत्या के बाद लखनऊ में वकीलों की नाराजगी सामने आ रही है। वकीलों ने ही यादव को पकड़कर पुलिस के हवाले किया था। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैसे हमलावर पिस्टल लेकर कोर्ट परिसर में पहुंच गए। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट में मौजूद अधिकांश मेटल डिटेक्टर्स काम नहीं कर रहे हैं। इधर, पुलिस को शक है कि यादव ने इस वारदात को अंजाम देने से पहले रैकी की थी।

ऐसी ही हत्याएं

2006 में मेरठ में पेशी के दौरान हुए हमले में रविंद्र भूरा की मौत हो गई थी। 2014 में मेरठ में ही उधम सिंह गैंग के सदस्य नितिन गंजा की मार दिया था। 2015 में कोर्ट परिसर में ही एक और कुख्यात अपराधी विक्की त्यागी का गोलियां मारकर कत्ल कर दिया गया था।

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