Wednesday, February 5, 2025
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मिलन से पहले अलगाव! सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में केजरीवाल-KCR को न्योता नहीं


Image Source : PTI
अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान

बेंगलुरु: कर्नाटक में कुर्सी का मामला सुलझने के बाद अब कल बेंगलुरु के कांतिरावा स्टेडियम में दोपहर साढ़े 12 बजे शपथ ग्रहण होगा। सिद्धारमैया मुख्यमंत्री जबकि डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कल शाम विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद सिद्धारमैया ने गवर्नर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। शपथ ग्रहण से पहले दोनों नेता आज दिल्ली आ रहे हैं। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल पर हाईकमान से चर्चा के लिए दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है।

कांग्रेस ने किसे बुलाया और किसे नहीं?


कांग्रेस ने कल बेंगलुरू में शपथ ग्रहण को ग्रैंड बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। शपथ ग्रहण में मोदी विरोधी तमाम नेताओं को न्यौता दिया गया है। शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। मलिक्कार्जुन खरगे ने सबसे पहले शरद पवार को फोन करके शपथग्रहण में शामिल होने का न्योता दिया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के अलावा अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव,उद्धव ठाकरे, फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे तमाम नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता भेजा गया है।

केजरीवाल और भगवंत मान को नहीं बुलाने की वजह क्या?

हालांकि इस लिस्ट में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव समेत कई नामों को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लगाए जा रहे सियासी गठबंधन के कयासों के बीच मिलन से पहले अलगाव की स्थिति देखने को मिल रही है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि केजरीवाल और भगवंत मान को नहीं बुलाने के पीछे दिल्ली और पंजाब कांग्रेस के नेताओं का विरोध प्रमुख वजह है। अभी कुछ दिन पहले भी दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने खुलकर आप की बगावत की थी। दोनों का ही कहना था कि आप ने हमेशा से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में उसके साथ हाथ मिलाना हर दृष्टि से गलत है।

समान विचारधारा वाले पार्टी नेता आमंत्रित

वहीं, AICC के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा, ”हम समान विचारधारा वाले पार्टी नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।” बता दें कि कर्नाटक की बंपर जीत ने कांग्रेस के लिए केवल प्राण फूंकने वाली संजीवनी बूटी की काम ही नहीं किया बल्कि अब पार्टी 2024 का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दोगुने जोश से काम करने में भी जुट गई है।

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अब कर्नाटक से पूरे देश को ठीक उसी तरह से मैसेज देने की तैयारी चल रही है जैसी 23 मई 2018 के एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान देखने को मिली थी। उस दौरान भी कांग्रेस ने मोदी विरोधी नेताओं का जमावड़ा लगाकर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी की थी। उस वक्त भी ये चेहरे थे और उनमें से ज्यादातर चेहरों को इस बार भी न्यौता भेजा गया है। कांग्रेस 20 मई को 2024 का शंखनाद करने वाली है। कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद है कि बैंगलुरु में 20 मई को एंटी मोदी मोर्चे की बड़ी पिक्चर दिखाई देगी।

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