कई सालों पहले तक हमारे पूर्वज मोटे अनाज का खाने में भरपूर उपयोग करते थे, जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य ठीक रहता था. कई लोग, तो ऐसे होते थे, जिन्होंने अपनी पूरे जीवन काल में अस्पताल का मुंह तक नहीं देखा होता था.

लेकिन धीरे-धीरे मोटे अनाज विलुप्ति की कगार पर आ गई, लेकिन कोरोना काल आने के बाद लोगों ने इसकी महत्व को समझा, मोटे अनाज को लेकर लोग जागरुक हो रहे हैं.

साथ ही सरकार भी इसे प्रोत्साहित कर रही है. किसानों के द्वारा तरह-तरह की उत्पाद तैयार किया जा रहे हैं, जिससे उनकी इनकम बढ़ा रही साथ ही समाज को अच्छी चीज खाने को मिल रही है.

दरअसल, सागर में मिलेट्स मेले का आयोजन किया गया था, जिसमें आदिवासी क्षेत्र मंडला के लोग मिलेट्स के चावल लेकर आए थे, जिसमें उन्होंने बताया कि यह बेहद ताकतवर होने के साथ बीपी शुगर को कंट्रोल करते हैं. इसे कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है, पाचन अच्छे से होता है.

गर्म तासीर के होने की वजह से गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. हम लोगों के यहां इसके अनेकों उदाहरण हैं कि गर्भवती महिला को अगर एक महीने पहले से रोजाना यह चावल खिला दें, तो उसकी घर पर नॉर्मल डिलीवरी होने के चांस बहुत अधिक हो जाते हैं.

महिला की डिलीवरी होने के बाद सादा चावल नहीं देते हैं, लेकिन यह मिलेटस चावल उन्हें खिला सकते हैं, जो मां के लिए और बच्चे के लिए दोनों को फायदेमंद होते हैं.

मोटे अनाज में मक्का कोदो कुटकी रागी सामा बाजरा जैसी चीज शामिल हैं. इनमें खूब प्रोटीन फाइबर विटामिन पाए जाते है. यह ग्लूटेन फ्री होते हैं.