Monday, July 8, 2024
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मुद्रास्फीति में नरमी से नीतिगत दर में वृद्धि का दौर समाप्त होगा : एसबीआई अर्थशास्त्री


मुंबई, 12 दिसंबर (भाषा) खुदरा मुद्रास्फीति के नवंबर में घटकर 5.88 प्रतिशत पर आने के साथ नीतिगत दर में वृद्धि का चक्र समाप्त होने की संभावना बढ़ी है। यह रेपो दर में वृद्धि के दौर को समाप्त करने के लिये प्रोत्साहित करती है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह कहा।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.88 प्रतिशत पर आ गयी। इस साल यह पहला मौका जब खुदरा महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजक दायरे में आई है। आरबीआई को मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि नवंबर महीने की खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा नीतिगत दर में वृद्धि चक्र को समाप्त करने के लिये प्रोत्साहित करता है।

रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के आक्रामक मौद्रिक नीति रुख से घरेलू मुद्रास्फीति को काबू में लाने में मदद मिल सकती है।

इसमें कहा गया है कि जबतक अमेरिका में मुद्रास्फीति काबू में नहीं आती है, वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व को नीतिगत दर में वृद्धि करनी पड़ सकती है। इससे उभरते बाजारों से पूंजी निकासी बढ़ेगी। फलत: विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और रुपये की विनिमय दर में गिरावट आएगी।

हालांकि, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति दिसंबर, 2022 और जनवरी, 2023 में बढ़कर फिर 6.5 से 6.7 प्रतिशत हो सकती है। वहीं मार्च, 2023 में इसमें उल्लेखनीय रूप से घटकर पांच प्रतिशत पर आने की संभावना है।



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