Home National ‘मैरिटल रेप के अपराधीकरण से विवाह नाम की संस्था अस्थिर हो जाएगी, NGO पुरुष आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में किया विरोध

‘मैरिटल रेप के अपराधीकरण से विवाह नाम की संस्था अस्थिर हो जाएगी, NGO पुरुष आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में किया विरोध

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‘मैरिटल रेप के अपराधीकरण से विवाह नाम की संस्था अस्थिर हो जाएगी, NGO पुरुष आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में किया विरोध

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एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने मैरिटल रेप (Marital Rape) के अपराधीकरण का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर कहा है कि यह कदम विवाह नाम की संस्था को अस्थिर कर देगा।

एनजीओ पुरुष आयोग ट्रस्ट द्वारा (NGO Purush Aayog Trust) अपनी अध्यक्ष बरखा त्रेहन के माध्यम से दायर याचिका में मैरिटल रेप के अपराधीकरण और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) प्रावधान से संबंधित याचिकाओं के एक बैच में अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई है, जो जबरन यौन संबंध के लिए अभियोजन पक्ष के खिलाफ पति को सुरक्षा प्रदान करता है। अगर पत्नी वयस्क है।

दलील में कहा गया है कि शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है और अपराध बनाने की शक्ति पूरी तरह से विधायिका के पास है।

याचिका में कहा गया, “मैरिटल रेप के मामले से संबंधित किसी भी पर्याप्त सबूत के बिना एक विवाह समाप्त हो सकता है। यदि जबरन संभोग का कोई सबूत है, तो पत्नी की गवाही के अलावा कोई अन्य प्राथमिक सबूत नहीं हो सकता है। यह आसानी से विवाह की संस्था को अस्थिर कर सकता है।”

वकील विवेक नारायण शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में देशभर में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां पुरुषों ने महिलाओं द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों के कारण आत्महत्या कर ली।

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