Home National मॉनसून ने वैज्ञानिकों को भी चौंकाया, रास्ता बदलकर पहुंचा उत्तर भारत; जानें वजह

मॉनसून ने वैज्ञानिकों को भी चौंकाया, रास्ता बदलकर पहुंचा उत्तर भारत; जानें वजह

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मॉनसून ने वैज्ञानिकों को भी चौंकाया, रास्ता बदलकर पहुंचा उत्तर भारत; जानें वजह

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इस बार मॉनसून भले ही केरल में देर से पहुंचा हो लेकिन राजधानी दिल्ली और उत्तर भारत में यह  समय से पहले पहुंच गया। रविवार को गुजरात, राजस्थान और पंजाब को छोड़कर बाकी सभी राज्यों तक मॉनसून पहुंच गया है। वहीं सोमवार को राजस्थान में भी बादलों ने दस्तक दे दी है। एक सप्ताह पहले तक मॉनसून लाइन की धीमी रफ्तार देखकर वैज्ञानिक भी चिंतित थे। बता दें कि मॉनसून देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है और इसमें हो रही देरी से चिंता बढ़ रही थी। 

मौसम विभाग के डीजी एम मोहापात्रा ने कहा, मानसून लाइन का मतलब होता है कि पिछले कुछ सालों में किस तरह से मध्य भारत और दक्षिण से उत्तर भारत की ओर बादलों का कर्व रहा है। कई बार यह कर्व बदल जाता है। जानकारों का कहना हैकि मानसून की उत्तरी सीमा पिछले 50-60 साल के ट्रेंड को देखते हुए तय की जाती है। जाहिर सी बात है कि मौसम विभाग द्वारा बनाए जाने वाले कर्व को मानसून पूरी तरह फॉलो नहीं करता लेकिन इस बार इसमें ज्यादा ही अंतर देखा गया। 

मोहापात्रा ने कहा, बिपरजॉय की लवजह से अरब सागर से उठने वाले बादल कमजोर हो गए थे। लेकिन एक सप्ताह पहले बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना  जिससे मानसून जल्दी ही उत्तर भारत पहुंच गया। इस बार एक अनोखी बात यह भी देखने को मिली कि मुंबई में मानसून देरी से पहुंचा जबकि दिल्ली पहले पहुंच गया। इस बार मानसून के अलग पैटर्न की वजह बिपरजॉय चक्रवात रहा है। 7 जून को यह कच्छ, सौराष्ट्र और पाकिस्तान के तट पर पहुंचा था। 

इस तूफान की वजह से शनिवार तक उत्तर प्रदेश में साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना रहा। शुक्रवार और शनिवार को अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों जगहों पर अनुकूल परिस्थितियां बनीं। इसके बाद उत्तरी पंजाब से हरियाणा, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, उत्तरपूर्व मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर ओडिशा की एक मानसून लाइन बनी। 

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