Home Health मोबाइल स्‍क्रीन, टेंशन या जंक फूड… कौन कर रहा है बच्‍चों को बीमार? डॉक्‍टर ने क‍िया खुलासा

मोबाइल स्‍क्रीन, टेंशन या जंक फूड… कौन कर रहा है बच्‍चों को बीमार? डॉक्‍टर ने क‍िया खुलासा

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मोबाइल स्‍क्रीन, टेंशन या जंक फूड… कौन कर रहा है बच्‍चों को बीमार? डॉक्‍टर ने क‍िया खुलासा

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Rising Mental and Physical Illnesses in Children: बदलती जीवनशैली, पढ़ाई का दबाव और खराब खानपान की वजह से आजकल बच्चे मानसिक और शारीरिक बीमारियों से जूझ रहे हैं. अगर समय रहते बिमारी का निदान और इलाज हुआ तो बच्चे अच्छी जिंदगी जी सकते हैं. इससे अलावा तनाव, चिंता, मोटापा और कई स्वास्थ्य समस्याओं से न केवल बड़े बल्कि बच्चे भी शिकार हो रहे हैं. आज के दौर में बच्‍चों का ज्‍यादा स्क्रीन देखना हर माता-प‍िता की च‍िंता का व‍िषय है. इसके अलावा पढ़ाई का टेंशन और गलत दिनचर्या बच्‍चों में बढ़ रही कई मानस‍िक और शारीरिक बीमार‍ियों का कारण बन रही हैं. अगर इनका समय पर इलाज न हो, तो बच्चों की सेहत, पढ़ाई और विकास पर बुरा असर पड़ सकता है. आइए जानते हैं गुड़गांव के मदहुड अस्‍पताल के मेडिकल डायरेक्टर (एनसीआर) नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स, डॉ. संजय वजीर का इसपर क्‍या कहना है.

बच्चों में होने वाले मानसिक विकार

1. चिंता – बच्चा हर समय घबराया हुआ रहता है, अलग होने का डर रहता है या पैनिक अटैक आते हैं. माता-पिता का दबाव, असफलता का डर, अकेलापन, पारिवारिक झगड़े, किसी करीबी की मृत्यु या आर्थिक परेशानी के कारण यह समस्या हो सकती हैं. बेचैनी, चिड़चिड़ापन, नींद न आना, लोगों से बचना यह इस बिमारी के लक्षण हैं. अगर समय रहते इलाज न हो, तो यह बच्चे की पढ़ाई, आत्मविश्वास और सामाजिक विकास पर असर डालता है.

2. डिप्रेशन –अगर बच्चा हमेशा उदास रहता है, किसी भी चीज़ में रुचि नहीं लेता या खुद को बेकार समझता है, तो यह डिप्रेशन हो सकता है. पारिवारिक तनाव, पढ़ाई का तनाव यह बच्चों में डिप्रेशन का कारण बनता हैं. कम एनर्जी, भूख न लगना, मूड बदलना, दोस्तों या पसंदीदा चीज़ों से दूरी बनाना यह डिप्रेशन के लक्षण हैं. डिप्रेशन अगर नजरअंदाज किया गया, तो यह पढ़ाई में ध्यान न लगना जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है.

3. अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD): ADHD वाले बच्चे ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, बार-बार चीजें भूलते हैं, और बहुत एक्टिव रहते हैं. इसके पीछे आनुवांशिक कारण हो सकते हैं. पढ़ाई में ध्यान न लगना, बार-बार भूलना, जरूरत से ज्यादा एक्टिव होना यह इसके लक्षणं हैं. इससे बच्चे की पढ़ाई, दोस्ती और सामाजिक तालमेल प्रभावित होता है.

बच्चों में होने वाले शारीरिक स्वास्थ्य विकार

बच्चों में आम शारीरिक समस्याएं
1. मोटापा – खराब खानपान और खेल-कूद की कमी से वजन बढ़ता है.
लक्षण: जल्दी थक जाना, ठीक से चल न पाना, कम ताकत.
आगे चलकर डायबिटीज, बीपी और हड्डियों की दिक्कत हो सकती है.

2. अस्थमा – सांस लेने में परेशानी होती है.
कारण: धूल, प्रदूषण, कम इम्युनिटी.
लक्षण: खांसी, सांस फूलना, सीटी जैसी आवाज़ आना.

3. आंख और पीठ की समस्या
कारण: ज़्यादा स्क्रीन देखने से आंखें और पीठ पर असर होता है.
लक्षण: सिरदर्द, धुंधला दिखना, गर्दन या पीठ में दर्द.

बच्चों की मानसिक सेहत का ध्यान कैसे रखें?

• बच्चे से खुलकर बात करें, उसे क्या परेशान कर रहा है, समझने की कोशिश करें.
• स्क्रीन टाइम कम करें, बाहर खेलने को कहें.
• पढ़ाई को लेकर दबाव न डालें, बच्चे को उसके हिसाब से काम करने दें.
• अगर बच्चा गुस्सैल, अकेला या चुप हो जाए, तो काउंसलिंग लें.
• बच्चे के साथ समय बिताएं – खेलें, पढ़ें, पेंटिंग करें, बागवानी करें, घूमें या कुछ नया सिखाएं.
• बच्चे को बोलने का मौका दें, ताकि वह मन की बात बता सके.

बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य का भी रखें ध्यान

• बच्चों को पौष्टिक आहार दे, पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड से बच्चों को दूर रखें.
• रोज़ाना 30 मिनट फिजिकल एक्टिविटी जैसे – बाहर खेलना, दौड़ना या योग करें.
• बच्चे को हर दिन कम से कम 8 घंटे की नींद दिलाएं.
• नियमित हेल्थ चेकअप करावाएं.
• साफ-सफाई और सही दिनचर्या बनाए रखें.
बच्चों को प्यार, समय और समझ की जरूरत है. अगर हम अभी ध्यान देंगे, तो उनका भविष्य स्वस्थ और खुशहाल होगा.

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