मोहित शर्मा/ करौली. राजस्थान के करौली में जब भी मालपुआ का नाम जुबां पर आता है तो सबसे पहला नाम लस्सी के लिए प्रसिद्ध बड़े बाजार के भगवती रेस्टोरेंट का आता है और आए भी क्यों ना,क्योंकि शहर की इस दुकान का देसी घी से तैयार किया गया पतला और जालीदार मालपुआ केवल सावन माह से लेकर जन्माष्टमी तक ही मिल पाता है. महज कुछ दिनों तक मिलने वाले इस मालपुआ का स्वाद इतना टेस्टी है कि इस दुकान पर तैयार किया गया मालपुआ रात के 8 बजे तक चट हो जाता है. इतना ही नहीं शहर के भगवती रेस्टोरेंट पर मिलने वाले मालपुए की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है.
भगवती रेस्टोरेंट पर शाम को इस मालपुए को खरीदने आए अजय शर्मा का कहना है कि मैं लगभग अपने बचपन से यहां के मालपुए को खाता आ रहा हूं. इनके जैसा मालपुआ शहर में कहीं पर भी नहीं मिल पाता है. उनका कहना है कि यहां का मालपुआ शुद्ध देसी घी और प्योर दूध, दही से तैयार किया जाता है. जो खाने में लजीज होता है.
रोज ताजा बनता है मालपुआ
भगवती रेस्टोरेंट के राजेंद्र गुप्ता का कहना है कि जालीदार और मुलायम मालपुआ शहर में केवल हमारे यहां पर ही मिल पाता है, क्योंकि हम इस मालपुए को दुकान पर बने दूध दही के मावे से तैयार करते हैं और इसकी सिकाई देसी घी में करते हैं. हालांकि उनका कहना है कि मालपुआ करौली में कई दुकानों पर बनता है, लेकिन हम अपने मालपुए को देसी घी से रोजाना ताजा बनाते हैं. हमारा मालपुआ दिन में बनता है और रात को खत्म हो जाता है.
सावन से जन्माष्टमी तक मिलता है इसका स्वाद
बड़े बाजार की इस दुकान पर बनने वाले मालपुआ की डिमांड भी भारी रहती है. कई बार तो ज्यादा मालपुआ बनने के बावजूद भी यहां का मालपुआ खत्म हो जाता है. भगवती रेस्टोरेंट के राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि उनके यहां सावन से शुरू होकर मालपुआ केवल जन्माष्टमी तक ही बनता है. जों दूर-दराज तक भी पहुंचता है. वह बताते हैं कि हमारा मालपुआ जयपुर, मुंबई और गुजरात तक जाता है. हमारी दुकान पर बनने वाले देसी घी का मालपुआ ₹320 किलो बिकता है.
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FIRST PUBLISHED : July 26, 2023, 15:20 IST