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नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने टेरर फंडिंग के एक मामले में मौत की सजा की मांग की है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की पीठ ने मलिक को 9 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में पेश होने के लिए पेशी वारंट भी जारी किया.
सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मलिक की तुलना अलकायदा के मारे जा चुके नेता ओसामा बिन लादेन से की. मेहता ने कहा, ‘अगर ओसामा बिन लादेन भी भारतीय अदालत के सामने होता तो उसे भी बहस करने का उचित मौका मिलता.’ इस पर जस्टिस मृदुल ने कहा कि दोनों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि ओसामा ने दुनिया भर में किसी भी अदालत में किसी मुकदमे का सामना नहीं किया. मेहता ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अमेरिका सही था.’ मेहता ही इस बात जस्टिस मृदुल ने आगे कुछ बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि अदालतों को विदेशी मामलों से जुड़े मसलों पर टिप्पणी से बचना चाहिए.
10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था
पिछले साल मई में यासीन को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई थी. पटियाला हाउस कोर्ट में NIA की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. साथ ही अदालत ने यासीन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
यासीन मलिक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को किया था कबूल
दरअसल, यासीन मलिक के खिलाफ यूएपीए कानून के तहत साल 2017 में आकंवादी घटनाओं में शामिल होने, आतंक के लिए पैसे एकत्र करने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने जैसे गंभीर आरोप थे. जिसे उसने चुनौती नहीं देने की बात कहते हुए इन आरोपों को स्वीकार कर लिया था. एनआईए ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में फांसी की सजा की मांग पर तर्क देते हुए कहा है कि मलिक पिछले 30 वर्षों से अलगाववादी गतिविधियों में शामिल था और हिंसा व आतंकवादी गतिविधियों की कई घटनाओं के लिए जिम्मेदार था.
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Tags: DELHI HIGH COURT, NIA, Terror Funding, Yasin Malik
FIRST PUBLISHED : May 29, 2023, 17:26 IST
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