नई दिल्ली. लड़कियों (Girls) के सेना-पुलिस या अन्य तरह की सरकारी नौकरियों (Government Jobs) में फेफड़ों की क्षमता जांचने (Chest Measurement of Female) के तरीकों पर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं. राजस्थान हाईकोर्ट (High court) की जोधपुर बैंच ने इसे मनमना और अपमानजनक बताया है. दरअसल, राजस्थान फॉरेस्ट गार्ड भर्ती के लिए तीन युवतियों ने शारीरिक दक्षता परीक्षा पास करने के बावजूद छाती मापी प्रक्रिया में अयोग्य बताकर बाहर कर दी गई. इसके बाद तीनों लड़कियों ने राजस्थान हाईकोर्ट के जोधपुर बैंच का रुख किया. राजस्थान उच्च न्यायालय ने भर्ती में बिना हस्तक्षेप किए इस मामले में विचार-विमर्श करने के लिए कहा है.
बता दें कि देश में युवतियों की छाती मापी प्रक्रिया को लेकर पहले से हीं भी सवाल उठते रहे हैं. कई सामाजिक संगठनों ने इसे महिलाओं के आत्मसम्मान के साथ-साथ गरिमा और उनकी निजता के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन तक बता चुके हैं. ऐसे में देश में पहली बार किसी हाईकोर्ट ने महिलाओं की छाती मापने के तरीके पर सवाल उठाया है. हाईकोर्ट ने वनपाल या किसी अन्य पदों के लिए निकाली गई वैकेंसी में महिला उम्मीदवारों की छाती मापने की निंदा की है.
- देश में युवतियों की छाती मापी प्रक्रिया को लेकर पहले से हीं भी सवाल उठते रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीर-News18)
युवतियों की छाती माप पर हाईकोर्ट का ऐतराज
इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा महिला अभ्यार्थियों की शरीरिक परीक्षण के दौरान फेफड़ों की क्षमता को मापने के लिए छाती माप का मानदंड पूरी तरह से मनमाना और अपमानजनक है. यह महिला उम्मीदवार की गरिमा को ठेस पहुंचाता है. ऐसे में महिला उम्मीदवारों को इस अपमान से बचाने के लिए और फेफड़ों की क्षमता को मापने के लिए किसी अन्य तरीकों को तलाशा जाना चाहिए. कोर्ट इस पर निर्देश देता है कि संबंधित एजेंसी विशेषज्ञों से राय ले.
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हाईकोर्ट ने यह आदेश बीते 10 अगस्त को जारी किया था. कोर्ट ने महिला उम्मीदवारों की पात्रता से संबंधित रिपोर्ट एम्स के मेडिकल बोर्ड से मांगी है. हालांकि, हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए भर्ती एजेंसी के फैसले को बरकरार रखा है. लेकिन, कोर्ट ने इसके तरीके पर आपत्ति जताई है. कोर्ट ने साफ कहा है कि महिलाओं में छाती का आकार उसकी शारीरिक योग्यता या फेफड़ों की क्षमता का निर्धारण नहीं होना चाहिए. राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि भारत के संविधान के आर्टिकल 14 और 21 के तहत प्रदत्त, महिला की गरिमा और निजता के अधिकार पर यह स्पष्ट आघात है.
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FIRST PUBLISHED : August 17, 2023, 18:32 IST