चेलानी ने कहा कि जहां बाइडन इस पूरे लद्दाख संकट पर चुप्पी साधे बैठे हैं और उनके प्रशासन के अधिकारी पीड़ित भारत की तुलना हमलावर चीन से कर रहे हैं। भारतीय विदेश सचिव रह चुके कंवल सिब्बल कहते हैं, ‘अमेरिका ने क्या बेतुका बयान दिया है। हमें कहा जा रहा है कि वर्तमान द्विपक्षीय चैनल का इस्तेमाल विवादित सीमा पर चर्चा करने के लिए करें। गलवान के बाद अब तक 16 दौर की सेना के बीच बातचीत हो चुकी है, तो हम उसमें क्या कर रहे थे। यह चीन के एलएसी को बदलने के प्रयास को छिपाने का प्रयास और दोनों देशों की तुलना करना है।’
इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि वह किसी भी देश की जमीन पर किसी दूसरे देश के दावों के किसी भी एकतरफा प्रयास का ‘द्दढ़ता से विरोध’ करता है। अरुणाचल प्रदेश में भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प के बाद अमेरिका वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ‘बारीकी से’ नजर रखे हुए है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका अपने भारतीय ‘साझेदारों’ के साथ ‘निकट संपर्क’ में है। प्राइस ने हालांकि भारत के साथ इस मसले पर हुई बातचीत का ब्योरा देने से इनकार कर दिया। प्राइस ने कहा, ‘हमें यह सुनकर खुशी हुई कि दोनों पक्ष झड़पों से जल्द ही अलग हो गए।’
वाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘हमें यह सुनकर खुशी हुई कि दोनों पक्ष झड़पों से जल्दी से अलग हो गए।’ उन्होंने कहा, ‘हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। हम विवादित सीमाओं पर चर्चा करने के लिए भारत और चीन को मौजूदा द्विपक्षीय चैनलों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’ प्राइस पिछले हफ्ते तवांग सेक्टर में भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की टुकड़ियों के बीच हुई झड़प के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
वहीं अमेरिकी कांग्रेस के एक भारतीय अमेरिकी सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने झड़पों पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, ‘मैं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अपने सशस्त्र बलों के साथ भारतीय क्षेत्र में घुसने के नए प्रयास के बारे में जानकर व्यथित हूं। मैं खुश हूं कि इस संघर्ष में भारतीय सेना को कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ, यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बढ़ती आक्रामकता और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए भारत और हमारे सभी सुरक्षा भागीदारों के साथ काम करना जारी रखने की एक और याद दिलाता है।’