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यूपी का बुंदेलखंड का ललितपुर जिला बेहद खास है। यहां एक एक से बढ़कर एक प्राचीन इमारतें और मंदिर देखने को मिलते हैं। इनमें से ही एक दशावतार मंदिर, यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि करीब 1500 साल पहले इस मंदिर का निर्माण गुप्त शासन काल के समय हुआ था। हालांकि समय के साथ इस मंदिर का अस्तित्व खोता चला गया। वर्तमान समय में यहां मंदिर के अवशेष देखने को मिल जाता है।
ललितपुर के देवगढ़ में स्थित दशावतार मंदिर भगवान विष्णु के प्राचीन मंदिरों में से एक है। पत्थर और चिनाई वाली ईंटों से बना यह मंदिर भगवान विष्णु के दस अवतारों को दर्शाता है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवता, हाथी और कमल समेत अन्य फूलों की प्रतिमा उकेरी गई है। दरवाजे पर गंगा और यमुना की नक्काशी है। वहीं पट्टी पर वैष्णव पौराणिक कथाओं की झलक देखने को मिलती है। इसके अलावा कृष्ण जन्म, कृष्ण और कंस लड़ाई और पांच पांडवों की मूर्तियां हैं। 1975 में सर एलेक्जेंडर कनिंघम के अभिलेखों के मुताबिक कभी यहां गुप्त शासन काल का राज हुआ करता था। उस समय देवगढ का मार्ग, सांची, उज्जैन, झांसी, प्रयागराज, बनारस और पटना से जुड़ा था।
देवगढ़ में जैन मंदिर भी
देवगढ़ में ही बेतवा नदी के किनारे प्राचीन जैन मंदिर भी है। यहां किले के भीतर 31 जैन मंदिर हैं। इनमें सबसे सुंदर जैन तीर्थंकर शांतिनाथ का मंदिर है। इन मंदिरों पर चंदेलों की झलक देखने को मिलती है। इसके अलावा मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के चित्र भी उकेरे गए हैं।
कैसे पहुंचे
ललितपुर सड़क और रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, झांसी, कानपुर, ग्वालियर समेत कई बड़े शहरों से बस या ट्रेन मिल जाएगी। इसके अलावा यहां से नजदीकी एयरपोर्ट ग्वालियर और भोपाल हवाई अड्डा है।