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दशकों की मशक्कत, सदियों की जोर आजमाइश-संघर्ष और आंदोलन के बाद 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। देश भर में दिवाली मनाने की तैयारी है। ब्रज में भी भारी उत्साह है। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में कृष्ण के अनुयायियों की अहम भूमिका रही। अयोध्या के नायकों का ब्रज से गहरा नाता रहा है। इनकी जन्मस्थली से कर्मस्थली तक ब्रजभूमि रही है। रामलला के लिए ब्रज के लाल अपना सर्वस्व न्योछावर कर गए।
राम मंदिर आंदोलन के जरिए देशभर में ‘रामलहर’ पैदा करने वाले विश्व हिंदु परिषद के अध्यक्ष रहे अशोक सिंहल ने साल 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद कहा था, ‘यह मात्र एक मंदिर का नहीं, हिंदू राष्ट्र का शिलान्यास है।’ ऐसे आंदोलन के प्रणेता और हिंदुओं के सम्मान से जोड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले सिंहल का जन्म आगरा के माईथान मोहल्ले में हुआ।
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का सवप्न संजोए सिंहल 17 नवंबर 2015 को दुनिया से प्रस्थान कर गए। उनके घर की मिट्टी भी राम मंदिर निर्माण में शामिल करने को भेजी गई है। विहिप के प्रांतीय पदाधिकारी सुनील पाराशर कहते हैं कि यह गर्व की बात है कि मंदिर आंदोलन के प्रणेता अशोक सिंहल आगरा में जन्मे। मंदिर आंदोलन में उनका योगदान युगों तक याद रहेगा। विहिप कार्यकर्ता अशोक सिंहल मार्ग पर 22 जनवरी को दीपक जलाकर उनको याद करेंगे।
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अलीगढ़-कासगंज में लगीं कल्याण की प्रतिमाएं
अलीगढ़ के कसबा अतरौली में जन्मे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने प्रभु राम के मंदिर के लिए अपनी सरकार कुर्बान कर दी थी। 1992 में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद कल्याण पूरे देश में हिंदू हृ्दय सम्राट के रूप में उभरे थे। पांच जनवरी को उनकी 92वीं जयंती प्रदेश भर में मनायी गयी और मंदिर आंदोलन में उनके योगदान पर चर्चा की गयी। अतरौली के अवंतीबाई पार्क में कल्याण सिंह की प्रतिमा का अनावरण उनके पुत्र एटा के सांसद राजवीर सिंह राजू भैया ने किया। इधर कासगंज में कासगंज-एटा मार्ग के नदरई चौराहे पर कल्याण की आदमकद प्रतिमा का अनावरण हुआ।
12 साल की आयु में अयोध्या चले गए थे नृत्यगोपाल
महंत नृत्य गोपाल दास श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख हैं। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा उनकी जन्म स्थली है। वह 11 जून 1938 को मथुरा जिले के करहला गांव में पैदा हुए। जब 12 वर्ष के थे तो अयोध्या चले गए। 1965 में 27 साल की उम्र में वह श्री मणिराम दास छावनी (छोटी छावनी) के महंत बने। मंदिर आंदोलन और अयोध्या के विकास में महंत नृत्य गोपाल दास का अहम योगदान है। वह 1984 से राम जन्मभूमि आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं। 2006 में रामचन्द्र दास परमहंस की मृत्यु के बाद राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख का पद संभाला। वर्तमान में वह श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख हैं। सन् 1992 में जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा तो इसके आरोपियों में से एक महंत नृत्य गोपालदास भी थे। वह मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के प्रमुख भी हैं।
आंदोलन को साध्वी के भाषणों ने दी थी धार
बात जब मथुरा की चल रही है तो साध्वी ऋतंभरा का जिक्र जरूरी है। उन्होंने अयोध्या के राममंदिर आंदोलन को अपने भाषणों से नई धार दी। स्थिति यह थी कि जिस स्थान पर साध्वी भाषण देती थीं, वहां उनको सुनने को हजारों की भीड़ जुटती। राम भक्तों में ऊर्जा का संचार होता। वृंदावन साध्वी ऋतंभरा की अब कर्मस्थली बन गयी है। वात्सल्य ग्राम समेत कई इलाकों में उनके द्वारा समाजसेवा के प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। हाल में वात्सल्य ग्राम में अब देश का पहला बालिका सैनिक स्कूल भी खुला है। साध्वी खुद कहती हैं कि राम मंदिर आंदोलन उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा संघर्ष रहा।
कासगंज के साक्षी मथुरा से रहे सांसद
ब्रज के अन्य जिलों में एटा-कासगंज के इलाके भी सीधे तौर पर आंदोलन से जुड़े रहे। सक्रिय भूमिका निभाने वाले व ढांचा विध्वंस के आरोपियों में एक स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी का जन्म भी कासगंज जिले के साक्षी धाम में हुआ। राममंदिर आंदोलन में ही साक्षी महाराज हिंदूवादी नेता के रूप में उभरे। साक्षी महाराज मथुरा के अलावा फर्रुखाबाद और उन्नाव से भी सांसद रह चुके हैं।