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UP Schools: यूपी बोर्ड के 27 हजार से अधिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा नौ और दस के 55 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को गुड़हल की पंखुड़ियों और सरसों के फूल जैसी ईको फ्रेंडली वस्तुओं से विज्ञान की बारीकियां समझाई जाएंगी। राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान एलनगंज के विशेषज्ञों ने पहली बार यूपी बोर्ड के बच्चों को पढ़ाने वाले विज्ञान व गणित शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया है।
एक अप्रैल से शुरू हो रहे नवीन शैक्षणिक सत्र में इसी मॉड्यूल के आधार पर शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। मॉड्यूल में गुड़हल व सरसों के फूल की पंखुड़ियों की टेम्पररी स्लाइड बनाकर कोशिका की संरचना को स्पष्ट किया गया है। रसायन विज्ञान में अम्ल, क्षारक एवं लवण में विभिन्न प्रकार की दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे नींबू, आंवला, जामुन, संतरा, दही, मौसमी आदि से नीले व लाल लिटमस पेपर से प्रयोग करके अम्ल एवं क्षार की पहचान करायी गयी है। भौतिक विज्ञान में गति का सिद्धांत समझाने के लिए ग्राफ पेपर की मदद ली गई है। संस्थान के निदेशक अनिल भूषण चतुर्वेदी के अनुसार महानिदेशक स्कूल शिक्षा के निर्देश पर पहली बार ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया गया है।
‘जादू’ से करेंगे अम्ल और क्षार की पहचान
बच्चों को सरल तरीके से विज्ञान समझाने के लिए जादू की सहायता ली जाएगी। सफेद कागज पर खाने का सोडा विलयन (क्षारक) से कोई भी संदेश जैसे हैप्पी बर्थ डे लिख दिया जाता है। यह कागज पर दिखाई तो नहीं देता परन्तु जब उसे चुकन्दर के रस (सूचक) से रगड़ते हैं तो वह संदेश दिखने लगता है। राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान में विज्ञान की कोऑर्डिनेटर मंजूषा गुप्ता व डॉ. ममता दुबे के अनुसार इस तरीके से खेल-खेल में अम्ल, क्षार की पहचान सिखाई जाएगी। जो बच्चों के लिए नवाचारी व रोचक प्रकिया है।
गणित में भी मददगार
छात्रों को जिंक, मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, आयरन (लोहा) व कॉपर आदि धातुओं की प्रक्रिया हाइड्रोक्लोरिक व सल्फ्यूरिक अम्ल से कराई जाएगी। गणित के कोऑर्डिनेटर अरविंद कुमार गौतम ने बताया कि घन-घनाभ की आकृतियों और संपूर्ण पृष्ठ की अवधारणा को गत्तों के डिब्बों की मदद से समझाया गया है।