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फिरोजाबाद में कई दिन के चुनावी शोर के बाद छिटपुट घटनाओं के साथ में मतदान गुरुवार को हो गया। प्रत्याशियों का भाग्य मतपेटिका में बंद हो गया है तो यह जनादेश सिर्फ प्रत्याशियों का ही नहीं है, बल्कि इससे कई दिग्गज भी अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। सियासत के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लगी हुई है तो बगावत करने वालों की ताकत भी जनादेश तय करेगा। इसके साथ में समाज के वोट दिलाने या कटवाने का दावा करने वाले नेताओं की अपने समाज पर पकड़ भी जनादेश साबित कर देगा। फिरोजाबाद का निकाय चुनाव का संग्राम इस बार नामांकन से ही वोटों के समीकरणों में उलझा रहा। राजनैतिक समीकरणों की यह उलझन वोटिंग में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
भाजपा के साथ माने जाने वाले वोट बैंक को लेकर उन समाज के कुछ नेताओं ने मुखालफत शुरू कर दी तो भाजपा की बागी महिला नेत्री ने निर्दलीय मैदान में उतर कर हार-जीत के समीकरणों को उलझा दिया। मतदान के दिन भी कई जगह पर वोट बंटे-बंटे से दिखाई दिए। ये जुदा बात है कि भाजपा ने डेमेज कंट्रोल करने में कसर नहीं छोड़ी, समाज के नेताओं की अपीलों से भाजपा ने काफी हद तक मतदाताओं को जोड़े रखने का भी प्रयास किया तो नगर विधायक ने भी पार्टी के लिए हर क्षेत्र में जाकर वोट मांगे। अब सभी को परिणाम का इंतजार है, क्योंकि भाजपा से बगावत करने वालों का राजनैतिक कद भी यह चुनाव तय करेगा।
यूपी निकाय चुनाव: फिरोजाबाद में हार-जीत का समीकरण पहिए की रफ्तार तय करेगी, पढ़ें कैसे
नगर निगम की बात करें तो यहां एक पूर्व विधायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। सपा से बगावत के बाद में हर चुनाव में अपनी ताकत का अहसास सपा एवं अन्य राजनैतिक दलों को कराने वाले पूर्व विधायक इस बार बसपा प्रत्याशी को जितान के लिए दिन रात जुटे रहे। अब देखना यह है कि बसपा को किस नंबर पर लाने में कामयाब हो पाते हैं।
सामाज के नेताओं के दावों की खुलेगी हकीकत
इस चुनाव में कई समाजों के नेता भी खुलकर सियासत के अखाड़े में थे। भले ही वो मैदान में नहीं थे, लेकिन विरोध जताने के लिए इन्होंने अलग अंदाज अपनाया था। किसी ने समाज को नोटा की तरफ मोड़ने का आह्वान किया तो किसी ने निर्दल के साथ ताकत दिखाने को। मतदान हो चुका है। वोट पड़ गए हैं तो आने वाला परिणाम समाज से जुड़े प्रमुख नेताओं की भी अपने समाज पर पकड़ को साबित कर देगा। देखना यह है समाज के नेता इस परिणाम के बाद में उभर कर आगे आते हैं या परिणाम के बाद में राजनैतिक दलों के सामने इनकी भी समाज पर पकड़ आ जाएगी।
पार्टी से जुड़े समाज के नेताओं की भी पकड़ की परीक्षा
इतना ही नहीं, विभिन्न राजनैतिक दलों से जुड़े हुए समाज के नेताओं की पकड़ की भी परीक्षा इस चुनाव में हो जाएगी। पार्टी के जरिए समाज के लिए काम करने वाले इन नेताओं एवं समाज के नेताओं के बीच में कौन अपने समाज में मजबूत है। यह भी 13 मई को आने वाला जनादेश बता देगा तो पार्टी में रहते हुए भी समाज के नेताओं से दुरभि संधि करने वालों की पोल भी 13 मई को जनादेश खोलेगा।