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राज्य सरकार शहरों में पिछले छह सालों में हुए कामों की गुणवत्ता का पता लगाने जा रही है। निकायों से इसके बारे में पूरी जानकारी मांगी गई है। उनसे पूछा गया है कि वर्ष 2017-18 से 2023-24 के बीच उनके यहां कितने काम हुए हैं। इसकी पूरी जानकारी दी जाए। नगर निगमों को एक करोड़ या इससे अधिक और नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों में 25 लाख या इससे अधिक की लागत से होने वाले कामों की जानकारी देनी होगी।
क्यूं जरूरत पड़ी
राज्य सरकार शहरी सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए केंद्रीय और राज्य वित्त आयोग से निकायों को भरपूर पैसे दिए जा रहे हैं। इसके बाद भी विकास कार्य न होने की लगातार सूचनाएं मिल रही हैं। सबसे अधिक शिकायतें सड़क और नाली की सुविधा न मिलने की है। इसके साथ ही घटिया कामों की शिकायतें भी लगातार मिल रही हैं। इसीलिए शासन स्तर पर तय किया गया है कि निकायों से बड़े कामों की जानकारी प्राप्त कर ली जाए, जिससे शिकायत के आधार पर इसकी जांच कराई जा सके।
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हकीकत का पता चलेगा
निकायों से विकास कार्यों खासकर सड़क निर्माण के संबंध में पूरी जानकारी मिलने के बाद इसे ऑनलाइन करा दिया जाएगा। इसके बाद निकायों द्वारा जब सड़क निर्माण के लिए पैसे की मांग की जाएगी तो इससे इसका मिलान कराया जाएगा। यह पता लगाया जाएगा कि कितने साल बाद उसी सड़क के लिए पैसे की मांग की जाए रही है। निकायों द्वारा अगर उसी काम के लिए दुबारा पैसे की मांग की जाएगी तो उनसे जवाब तलब किया जाएगा। उनसे पूछा जाएगा कि बनी सड़क के लिए दुबारा पैसे की मांग क्यूं की जा रही है।
सूचना न देने पर कार्रवाई
स्थानीय निकाय की उप निदेशक रश्मि सिंह ने इस संबंध में नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को निर्देश दिया कि तय प्रारूप पर कराए गए कामों की जानकारी उपलब्ध कराई जाए। इसके पहले भी निकायों से इस संबंध में जानकारी मांगी जा चुकी है, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके बाद सूचना उपलब्ध न कराने वाले निकाय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।