ऐप पर पढ़ें
किसानों और पॉल्ट्री फार्मरों की आय बढ़ान के लिए वैज्ञानिक लगातार नए शोध कर रहे हैं। सीएआरआई, बरेली के वैज्ञानिक भी मुर्गी पालन को अत्यधिक फायदेमंद बनाने के लिए मुर्गे-मुर्गियों की नई प्रजातियां विकसित कर रहे हैं। इसी कड़ी में सीएआरआई की वैज्ञानिक ने एक ऐसी देसी रंगीन मुर्गी की प्रजाति विकसित की है, जो महज तीन महीने में ही दो से सवा दो किलो की हो जाती है। इस नई प्रजाति का नाम ‘समृद्धि’ रखा गया है। दो नवंबर को संस्थान के स्थापना दिवस के अवसर पर इसकी आधिकारिक घोषणा होगी। इसके बाद यह पॉल्ट्री फॉर्मरों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सिम्मी तोमर ने बताया कि देसी रंगी मुर्गी को तैयार करने के इस प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2016 में हुई थी। केंद्र सरकार के ऑल इंडिया कोऑर्डिनेट रिसर्च प्रोजेक्ट तहत शुरू हुए इस शोध कार्य का मुख्य उद्देश्य रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही मुर्गी के वजन को बढ़ाना था, जिससे मांस की खपत को पूरा करने में सहयोग मिल सके।
शुरुआत में अलग-अलग स्थानों से देसी मुर्गी के 1000 अंडे इकट्ठा किए गए। उससे जो मुर्गी पैदा हुई, उसे संस्थान में पहले से तैयार बेहतर प्रजाति के देसी मुर्गे से क्रॉस कराया गया। इसके बाद जो ब्रीड पैदा हुई, उससे एक देसी पैरेंट्स लाइन तैयार की गई। इनके दाने में किसी तरह का कोई प्रोटीन सप्लीमेंट नहीं दिया गया था। शोध के दौरान पहले पड़ाव में यह प्रजाति रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ तैयार हुई थी।
यूपी: डेंगू के बदले तेवर, इस शहर में प्रकोप के हालात, इस साल भी आंकड़ा 500 के पार
आठवीं पीढ़ी में बेहतर रिजल्ट
डॉ. सिम्मी तोमर ने बताया कि पहले पड़ाव के बाद नई प्रजाति की मुर्गी में तेजी से वजन बढ़ाना बड़ी चुनौती थी। इसके लिए उन्होंने मुर्गियों के चूजों को खुले में चुगने के लिए छोड़ दिया। साथ ही जिन स्थानों पर इन चूजों को रखा गया वहां दाने के साथ ही सहजन, बेकार आलू, केंचुए मोरिंगा की पत्तियां आदि डाल दिए गए, जिससे वे इसे चुग कर खा सकें। समय-समय पर उनका वजन भी मापा गया। शोध के दौरान तीन जेनरेशन पूरा होने के बाद आठवीं पीढ़ी में मनवांछित सफलता मिल सकी। रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ देसी मुर्गी की नई वजनदार प्रजाति तैयार हो चुकी है, जो पॉल्ट्री फार्मरों की आय बढ़ाने में सहायक होगा।
सीएआरआई, पक्षी दैहिकी एवं पुनरोत्पादन प्रभाग के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. जगबीर सिंह ने कहा कि नई प्रजाति की रंगीन देसी मुर्गी छोटे और मध्यम पॉल्ट्री फार्मरों के लिए बेहद उपयोगी होगी। कम लागत में ही जल्दी वजनदार मुर्गी तैयार होने के कारण पॉल्ट्री फार्मर को बेहतर आमदनी होगी। संस्थान के स्थापना दिवस पर दो नवंबर को इसे देश को समर्पित करेंगे।