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यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के केंद्र निर्धारण में निजी स्कूलों को वरीयता और छात्र आवंटन के अलावा भी खेल हुआ है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक में ही करीब के स्कूल में बने केंद्र को छोड़कर एक छोर के विद्यार्थियों को दूसरे छोर भेज दिया गया। इससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। केंद्र निर्धारण नीति में छात्रों के लिए अधिकतम 12 और छात्राओं के लिए सात किलोमीटर दूर तक केंद्र बनाने का प्रावधान था।
इसके विपरीत गंगा इंटर कॉलेज तुलसीपुर अटरामपुर की हाईस्कूल की 38 और इंटर की 26 कुल 64 बालिकाओं का केंद्र 20 किलोमीटर दूर जनता इंटर कॉलेज मऊआइमा भेज दिया गया। कुछ ऐसे निजी स्कूल भी हैं जो मानक पूरा नहीं करते हैं और बोर्ड मुख्यालय की ओर से जारी पहली सूची में केंद्र नहीं बने थे। लेकिन बाद में जिले स्तर पर उन्हें केंद्र बना दिया गया है। गंगापार के कौड़िहार विकासखंड में एक ही क्षेत्र में तकरीबन आधा दर्जन केंद्र नए बना दिए गए।
केंद्रों के निर्धारण में छात्र-छात्राओं की सहूलियत का ध्यान रखा जाना चाहिए था। जिस प्रकार से बच्चों को शहर में एक से दूसरे छोर पर भेजा गया है, निश्चित तौर पर उन्हें सेंटर तक पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
लालमणि द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट
छात्रों को एक से दूसरे छोर भेज दिया
शहरी क्षेत्र में परीक्षार्थियों को एक से दूसरे छोर भेज दिया गया। शिवचरणदास कन्हैयालाल इंटर कॉलेज के बच्चों को भारत स्काउट एवं गाइड इंटर कॉलेज भेजा गया है। अग्रसेन इंटर कॉलेज लूकरगंज के बच्चों को राधा रमण इंटर कॉलेज दारागंज, डॉ. घोष मॉडर्न कॉलेज, जमुना क्रिश्चियन, सरस्वती विद्या मंदिर मीरापुर और एएम गर्ल्स इंटर कॉलेज निहालपुर को ईश्वर शरण इंटर कॉलेज भेजा गया है। किदवाई गर्ल्स कॉलेज हिम्मतगंज की 261 छात्राओं को नवीन महिला सेवा सदन बैरहना भेज दिया गया। शहर में खासतौर से दूसरी पाली की परीक्षा के लिए ट्रैफिक और जाम में निर्धारित केंद्र तक पहुंचना मुसीबत भरा होगा।