Home World यूरोप पर सूखे की मार, फसलें हो रही हैं तबाह, 500 साल में नहीं पड़ी ऐसी गर्मी, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

यूरोप पर सूखे की मार, फसलें हो रही हैं तबाह, 500 साल में नहीं पड़ी ऐसी गर्मी, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

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यूरोप पर सूखे की मार, फसलें हो रही हैं तबाह, 500 साल में नहीं पड़ी ऐसी गर्मी, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

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नई दिल्ली. जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया में तबाही ला कर रख दी है, लगातार कई सालों से इसे लेकर विश्व मंच पर चिंता ज़ाहिर की जा रही है. वैकल्पिक उर्जा से लेकर अन्य दूसरे उपाय अपनाए जा रहे हैं. भारत ने 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में 70 फीसद कमी लाने की बात कही है और वह इस की ओर तेजी से कदम भी बढ़ा रहा है. वहीं अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे देशों ने भी कार्बन उत्सर्जन को शून्य पर लाने के लिए तमाम तरह के उपाय करना शुरू कर दिया है, हालांकि अभी भी इसे लेकर सभी देश दूसरे देशों की तरफ मुंह ताक रहे हैं और खुद उपाय करने से बच रहे हैं.

यही वजह है कि भारत जैसे देशों ने विश्व मंच पर बड़ी सख्ती के साथ अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि विकसित देशों और विकासशील देशों के लिए शून्य उत्सर्जन या जलवायु परिवर्तन के उपायों को एक ही श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि विकसित देशों ने खुद को विकसित करने के लिए तमाम उपाय अपनाते हुए धरती की यह स्थिति कर दी है और जिन देशों का इसमें योगदान ना के बराबर रहा अब उनसे जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में बराबरी से हिस्सेदारी की उम्मीद की जा रही है, खास बात यह है कि अभी भी यूरोप, अमेरिका जैसे देश उतनी संजीदगी से कदम नहीं उठा रहे हैं जैसे उठाए जाना चाहिए. अब इसके गंभीर परिणाम भी नज़र आ रहे हैं.

गर्मी से यूरोप में किसानों की पैदावार पर बुरा असर
दक्षिण यूरोप भयानक सूखी गर्मी को झेल रहा है, और यह आलम तब है जब वहां कई क्षेत्र पहले से ही पानी की कमी को भुगत रहे हैं, किसानों को आशंका है कि दशकों में यह सबसे खराब पैदावार का वक्त हो सकता है. जलवायु परिवर्तन की वजह से क्षेत्र गर्म और सूखे हो रहे हैं, जिसकी वजह से लगातार कई सालों से भूमिगत जलस्रोत लगातार घटते जा रहे हें. स्पेन, दक्षिण फ्रांस, इटली और उत्तरी अफ्रीकी देश जैसे ट्यूनीशिया में मिट्टी बुरी तरह से सूख रही है. यही नहीं नदी और जलस्रोतों के घटते स्तर से गर्मी में हाइड्रोपॉवर उत्पादन और पेय जल की उपलब्धता पर भी खतरा पैदा हो गया है.

500 साल में नहीं पड़ी ऐसी गर्मी
वैज्ञानिकों ने चेताया है कि इस बार एक और भीषण गर्मी के लिए लोगों को तैयार रहना चाहिए, पिछले साल क्षेत्र ने जो गर्म झेली थी जिसकी वजह से यूरोप को सूखे की मार सहनी पड़ी थी, शोधकर्ताओं के हिसाब से वह पिछले 500 साल की सबसे भीषण गर्मी थी. वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले 150 सालों में औसत तापमान में 1.5 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है जिसकी वजह से भूमध्यसागर में ज्यादा और लगातार सूखे की नौबत आ रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से यह क्षेत्र और ज्यादा भीषण गर्मी और सूखे को झेलेगा.

फ्रांस, स्पेन से लेकर इटली तक हर जगह सूखा
अहम बात यह है कि लंबे वक्त से इस बात के पूर्वानुमान लगाए जा रहे हैं उसके बावजूद इसे लेकर तैयारी पिछड़ रही है. कई ऐसे कृषि क्षेत्र हैं जहां अभी भी पानी की बचत के तरीकों जैसे सटीक तरह से सिंचाई या सूखा प्रतिरोधी फसलें जैसे सूरजमुखी की पैदावार को नहीं अपनाया गया है. एक सरकारी वेबसाईट के मुताबिक, फ्रांस 1959 के बाद के अपनी सबसे सूखी सर्दियों से उभर रहा है. स्पेन में इस साल औसत की आधी बारिश देखने को मिली है, यहां अब हजारों लोग पीने के पानी के लिए टैंकर के भरोसे हैं वहीं, कई क्षेत्र जैसे कैटालोनिया में जल प्रतिबंध लागू कर दिया गया है.

अनाज और तिलहन पर पड़े असर के साथ ही कुछ किसानों ने अपनी 80 फीसद से ज्यादा फसलों के नुकसान की सूचना दी है. यह साल जिस तरह के आलम देखने को मिल रहे हैं उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह पिछले साल की पुनरावृत्ति हो सकता है, वहीं इटली में पिछले 70 सालों का सबसे भीषणतम सूखा रिपोर्ट किया गया है. वैज्ञानिक अब कह रहे हैं कि हमें ऐसे वक्त के लिए तैयार रहना चाहिए जो और अधिक सूखा और गर्म हो.

Tags: Climate Change, Europe, France, Italy

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