Monday, July 8, 2024
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ये तो अदालत पर अतिक्रमण है, ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे पर योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी पर बौखलाए ओवैसी


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हैदराबाद से सांसद और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण मामले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘विवादास्पद’ टिप्पणी को अदालत पर अतिक्रमण करार दिया है। संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए ओवैसी ने कहा कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर एक-दो दिन में फैसला आने वाला है। ओवैसी ने कहा कि मुख्यमंत्री का दिया गया बयान संविधान के खिलाफ है।

लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख ओवैसी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “सीएम योगी जानते हैं कि मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में भारतीय पुरातत्व विभाग के सर्वे का विरोध किया है और कुछ ही दिनों में उस पर फैसला सुनाया जाएगा, फिर भी उन्होंने इतना विवादित बयान दिया, यह अदालत पर अतिक्रमण है।”

ओवैसी ने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का यह घोर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कानून का पालन नहीं करना चाह रहे बल्कि मुसलमानों पर दबाना डालना चाह रहे हैं। एआईएमआीएम सांसद ने कहा कि यह सिर्फ बीजेपी की साम्प्रदायिक राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने मुख्यमंत्री की उस बात पर सख्त एतराज जताया जिसमें योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मस्जिद के अंदर त्रिशूल क्या कर रहा है? हमने इसे वहां नहीं रखा. वहां  ज्योतिर्लिंग, देव प्रतिमाएं (मूर्तियां) मिल रही है।”

बता दें कि ANI को दिए एक इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ ने कहा है, “दीवारें चीख-चीख कर कुछ कह रही हैं। मुझे लगता है कि मुस्लिम समाज की ओर से एक प्रस्ताव आना चाहिए कि एक ऐतिहासिक गलती हुई है और हमें समाधान की जरूरत है।” हाई कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि सर्वे पर रोक 3 अगस्त तक जारी रहेगी, जब इस पर फैसला सुनाया जाएगा।

अदालत मस्जिद की देख रेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

2021 में, महिलाओं के एक समूह ने वाराणसी अदालत से संपर्क कर ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित है। इस पर अदालत ने ‘वज़ूखाना’ को छोड़कर, एक वीडियो सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। वजूखाना के बारे में भी कुछ लोगों ने दावा किया था कि वह शिवलिंग है। हालाँकि, मस्जिद समिति ने कहा था कि यह इबादत से पहले हाथ-पैर धोने के लिए एक फव्वारे का हिस्सा है।



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