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बच्चा पालना और उन्हें अच्छे संस्कारों के साथ बड़ा करना आसान काम नहीं। हर मां-बाप चाहते हैं कि बच्चों को सारे सुख-सुविधाएं दें। कई बार बच्चों की जिद और रोने-धोने के आगे पेरेंट्स को हर जिद पर हां बोलना ठीक लगता है। लेकिन आगे चलकर आपकी ये नरमी बच्चों का भविष्य बिगाड़ सकती है। हम साथ में रहते हैं तो समझ नहीं आता कि बच्चा बिगड़ गया है। क्योंकि उनको इस तरह से देखने की आदत पेरेंट्स को बचपन से हो जाती है। वहीं जब बच्चे की शिकायतें बाहर से आने लगें तो आपको शर्मिंदा होना पड़ सकता है। यहां कुछ लक्षण हैं जो बताते हैं कि आपका बच्चा बिगड़ गया है। उसे सुधारने के तरीके भी जानें।
पेरेंट्स पर डिपेंड होते हैं बिगड़े बच्चे
रिसर्च के मुताबिक, बिगड़े बच्चे अपने मां-बाप पर ज्यादा निर्भर रहते हैं। वे अपनी जिंदगी के फैसले खुद नहीं ले पाते और खुशी के लिए दूसरों के मोहताज होते हैं। अपने मन की चीजें हासिल करने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। इससे कितना भी नुकसान हो या कोई भी हर्ट हो। यहां कुछ लक्षण हैं जिनसे आपको अलर्ट हो जाना चाहिए…
बात-बात पर गुस्सा आना
किसी की बात न मानना
दूसरों से जल्दी दोस्ती न कर पाना
बच्चा जल्दी किसी के साथ घुलता-मिलता नहीं है
कोई भी गिफ्ट वगैरह मिलने पर शुक्रगुजार न होना
खुद से अपना कोई काम न कर पाना
बच्चे का हर बात पर धमकियां देना या इमोशनली ब्लैकमेल करना
आप उन्हें कुछ समझाएं तो मुंह फूल जाता है
अपनी गलती नहीं मानते हैं
घर की बातों में ज्यादा दखल देना
ये हैं वजहें
आप उनकी हर डिमांड तुरंत पूरी कर देते हैं
हर वक्त बच्चे की मदद के लिए हाजिर रहते हैं
किसी काम को करने के लिए उन्हें लालच देते हैं
महंगे खिलौने, गैजेट्स उनके मुंह से निकलते ही हाजिर कर देते हैं
आप उनके सामने बड़ों के लिए गलत बोलते या उन्हें झिड़क देते हैं
अपने पार्टनर को उनके सामने बेइज्जत करते हैं
न करें जिद पूरी
बच्चों के रोना बंद करने के लिए उनकी हर जिद पूरी न करें। उन्हें समझाएं कि वे जब तक अपना व्यवहार नहीं सुधारेंगे उन्हें वो चीज नहीं दी जाएगी। भले ही वो चीज सस्ती हो लेकिन उन्हें ये फील न करने दें कि उनके रोने के डर से आपने चीज दिला दी।
झूठी तारीफ से न दें खुशी
अगर आपका बच्चा किसी चीज में पीछे रह जाता है तो इस डर से झूठी तारीफ न करें कि उसे बुरा लगेगा। उसे समझाने का दूसरा तरीका निकाल सकते हैं। उसे बता सकते हैं कि दूसरे बच्चे ने शायद ज्यादा मेहनत की होगी।
सिखाएं पैसों की कद्र
बच्चे को बेहिसाब पैसा खर्च न करने दें। हमेशा पैसे जोड़ना सिखाएं। घर में पैसे की तंगी बच्चे से डिसकस न करें लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि क्या चीज जरूरी है।
अपने काम करना सिखाएं
बच्चे को छोटे-मोटे काम खुद करने दें। ऐसे वे ज्यादा जिम्मेदार बनेंगे।
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