Friday, March 14, 2025
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ये 5 संकेत बताते हैं ओरल कैंसर की हो चुकी शुरुआत, गंगाराम के डॉक्टर से जानें कैसे इस घातक बीमारी से बचें


हाइलाइट्स

डॉ. आदित्य सरीन ने कहा कि मुंह के कैंसर के अधिकांश मामलों में स्मोकिंग, तंबाकू और गुटखा ही जिम्मेदार होते हैं.
मुंह का कैंसर होंठ, मसूड़े, जीभ, गाल की लाइनिंग में, मुंह की छत में, जीभ के नीच मुंह की सतह पर हो सकता है.

Mouth Cancer Symptoms: विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल करीब एक करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत कैंसर के कारण होती है. कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही शरीर में सिहरन मचने लगती है. भारत में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. इंडिया अगेंस्ट कैंसर के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 27 लाख लोग कैंसर का इलाज करा रहे हैं. 2020 में कैंसर से संबंधित करीब 8.5 लाख लोगों की मौत हुई है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन में प्रकाशित एक साइंटिफिक पेपर में कहा गया है कि अगर लाइफस्टाइल में बदलाव कर लिया जाए तो कैंसर को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत कैंसर के मामले ही जेनेटिक होता है. बाकी सारे कैंसर के कारण लाइफस्टाइल या पर्यावरण होता है.

कैंसर के लिए मुख्य रूप से कैंसर चाहे किसी भी प्रकार का क्यों न हो. बहुत हद तक इसके लिए हमारी लाइफस्टाइल जिम्मेदार होती है. सिगरेट, शराब, तंबाकू, गुटखा आदि कैंसर के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं. सिगरेट, तंबाकू और गुटखा के कारण सबसे ज्यादा मुंह का कैंसर यानी ओरल कैंसर होता है. अगर समय रहते हम इसकी पहचान कर लें तो कैंसर का पूरी तरह इलाज किया जा सकता है.

ओरल कैंसर के प्रकार
सर गंगाराम अस्पताल में कैंसर विभाग के एसोसिएड कंसल्टेंट डॉ. आदित्य सरीन ने बताया कि मुंह से लेकर सांस की नली वाले रास्ते तक अगर कैंसर होता है तो उसे मुंह का कैंसर ही माना जाता है. मुंह का कैंसर होंठ, मसूड़े, जीभ, गाल की लाइनिंग में, मुंह की छत में, जीभ के नीच मुंह की सतह पर हो सकता है. अगर सांस की नली वाले रास्ते में होता है तो इसे ओरोफायरिंग्स कैंसर के रूप में जानते हैं. मुंह का कैंसर कई तरह के होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा स्क्वामाउस सेल कार्सिनोमा होता है. मुंह के कैंसर के 10 में 9 मरीज स्क्वामाउस सेल कार्सिनोमा से पीड़ित रहते हैं.

मुंह के कैंसर के लक्षण

डॉ. आदित्य सरीन बताते हैं कि जब किसी के मुंह में कैंसर होता है तो आमतौर पर उसे खाने को निगलने में परेशानी होती है. इसके अलावा मुंह के अंदर अल्सर या छाले पड़ जाते हैं जो दवाई लेने के बाद भी ठीक नहीं होते. जो लोग गुटखा खाते हैं, उनके दांतों पर निशान पड़ने लगते हैं. इसके अलावा जो लोग मुंह के अंदर गुटखे रखते हैं तो मुंह के अंदर छाले पड़ जाते हैं. कुछ लोगों में बकल कैंसर होने पर निशान अंदर से बाहर की ओर आ जाता है. डॉ. सरीन ने बताया कि मुंह का कैंसर बहुत पेनफुल होता है जो साधारण इलाज कराने के बावजूद जाता नहीं है. मुंह के कैंसर के कारण गला और गर्दन में गांठ भी हो सकता है. इसके साथ ही दांत के मसूड़े या सॉकेट लूज हो जाता है. होंठ और जीभ में सुन्न हो जाता है. वहीं मुंह और जीभ की लाइनिंग में सफेद और लाल पैचेज बनने लगते हैं. आवाज में बदलाव आ जाता है. आवाज कर्कश या भारी हो जाती है.

मुंह के कैंसर के कारण

डॉ. आदित्य सरीन ने कहा कि मुंह के कैंसर के अधिकांश मामलों में स्मोकिंग, तंबाकू और गुटखा ही जिम्मेदार होते हैं. इसके अलावा अल्कोहल और ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) और जननांगों में मस्सा के लिए जिम्मेदार वायरस भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.


ओरल कैंसर से बचने के तरीके

डॉ. सरीन कहते हैं कि ओरल कैंसर से बचना है तो स्मोकिंग, तंबाकू, गुटखा को हाथ न लगाएं. इसके अलावा शराब न पीएं. डॉ. आदित्य सरीन ने बताया कि फिजिकल रिलेशन के दौरान ओरल संबंध न बनाएं क्योंकि इससे जननांगों में एचपीवी वायरस मुंह में आ सकता है जो ओरल कैंसर का कारण बन सकता है.

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Tags: Cancer, Health, Health tips, Lifestyle



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