
आशुतोष तिवारी/ रीवा. आम दिनों की अपेक्षा कड़ाके की ठंड के दिनों में समय से उठना, एक्सरसाइज करना मुश्किल का काम होता है. यही वजह है कि लोगों की दिनचर्या बिगड़ने लगती है. इतना ही नहीं ठंड के दिनों में इंसान न सिर्फ आलसी होने लगते हैं, बल्कि सर्दी खांसी जुकाम जैसी आम समस्याएं भी इंसान को प्रभावित करती हैं. ऐसे में ठंड के दिनों में खुद को इन मौसमी बीमारियों से बचाए रखने के लिए और आलस को दूर भगाने के साथ-साथ अपनी दिनचर्या में सकारात्मक सुधार के लिए योग का सहारा लिया जा सकता है.
आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताते हैं कि जिनकी मदद से न सिर्फ आपकी लाइफ स्टाइल बेहतर होगी, बल्कि शरीर में गर्माहट भी बनी रहेगी और आलस भी दूर भागेगा. इस विषय पर जब हमने जलयोग में ग्रेटेस्ट वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले योगासन के नेशनल प्लेयर गीता प्रसाद पांडे से बात कि तो उन्होंने बताया कि ठंड के दिनों में 8 ऐसे योगासन हैं जिनका अभ्यास हर किसी को करना चाहिए. इससे ठंड के दिनों में किसी बीमारी का खतरा नहीं रहेगा. साथ ही शरीर के भीतर ऊर्जा का संचार होता रहेगा. ठंड के दिनों में भी व्यक्ति को ठंड नहीं लगेगी. आगे गीता प्रसाद पांडे ने बताया कि यह योगासन क्रमशः पादहस्तासन, हस्तोत्तान, भुजंग आसन, पर्वत आसन, योग मुद्रासन, ताड़ आसान, तिर्यक ताड़ासन, नाड़ी शोधन प्राणायाम है.
पादहस्तासन
गीता प्रसाद पांडे ने बताया कि इस आसन को करने के लिए कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकना होता है. शरीर को संतुलित करने की कोशिश करने के बाद हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं. धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा.
हस्तोत्तान
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को ऊपर आसमान की तरफ उठा लें. अब दोनों हाथों के पंजों को मिलाते हुए एड़ियों को ऊंचा करें और हाथों को और ऊपर की तरफ खीचें. इसके बाद एड़ियों को जमीन पर रख दें. अब हाथों को ऊपर उठाते हुए दाईं तरफ जितना हो सके घूमकर स्ट्रेच करें
भुजंग आसन
भुजंगासन करने के लिए मैट पर पेट के बल लेटकर अपने दोनों पैरों के अंगूठों और एड़ियों को मिलाते हुए दोनों हथेलियों को सीने के सामने जमीन पर रखें. अब सांस लेते हुए हथेलियों पर दबाव डालें और सिर, छाती और नाभि तक पेट को ऊपर उठाएं. और इसी पोजीशन में आसमान की तरफ देखें. और गर्दन को सीधा रखें.
योग मुद्रासन
पहले टांगों को सामने फैला कर बिलकुल सीधा बैठ जाएं. इसके बाद दाएं घुटने को मोड़कर पांव को बायीं जांघ पर इस तरह रखें कि एड़ी घुटनों के मूल से सटी हो. अब बायीं टांग को भी घुटनों से मोड़कर पांव को दायीं जांघ पर वैसे ही रखें जैसे पहले दायें पांव को बायीं पर रख चुके हों. अब आप अपनी आंखें बंद कर लें. गहरी सांस लें और शरीर को ढीला छोड़ दें. दोनों हाथों को पीठ की तरफ पीछे ले जाएं और एक हाथ की कलाई को दूसरे हाथ से पकड़ लें.सांस को धीरे-धीरे बाहर की तरफ छोड़ते हुए आगे की तरफ इस तरह झुकें कि ललाट फर्श की तरफ हो.शरीर को फिर से ढीला छोड़ दें और सामान्य ढंग से सांस लें.
ताड़ासन
इस आसन को करने के लिए पैरों को थोड़ा खोलकर सीधे खड़े हो जाएं. हाथों को नमस्ते की मुद्रा में जोड़कर सिर के ऊपर ले जाएं, लेकिन ध्यान रखें कि दोनों हाथ आपके दोनों कानों के पास से गुजर रहे हों. अब पैरों को उठाए बिना हाथों की उंगलियां और धड़ आसमान की तरफ खींचें. खिंचाव को थोड़ी देर बनाए रखने की कोशिश करें.अंत में धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं.इस प्रक्रिया में सांस लेना ना भूलें.
नाड़ीशोधन प्राणायाम
इस प्राणायाम में बाई नाक से सांस अंदर की ओर लेना होता है. सबसे पहले बाई नाक को अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों की मदद से बंद कर लें और दाई नाक से सांस बाहर छोड़ें. इसके बाद अपनी दाई नाक के सहारे से सांस भीतर लें और उसे अंगूठे से बंद करके बाई नाक से खोलकर सांस बाहर छोड़ें. यह नाड़ीशोधन प्राणायाम या अनुलोम-विलोम का एक चक्र है. इस प्राणायाम को करने से शरीर गर्म रहता है.
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FIRST PUBLISHED : January 17, 2024, 09:47 IST